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Fani cyclone: 20 साल बाद आया भयानक तूफान, बचाव के लिए चल रहा सबसे बड़ा अभियान

1999 के सुपर साइक्लोन के बाद यह पहली बार होगा जब राज्य इतने भीषण तूफान का सामना करेगा। 1999 में आए सुपर साइक्लोन में 10 हजार लोगों की जान चली गई थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Fri, 03 May 2019 01:33 PM (IST)
Fani cyclone: 20 साल बाद आया भयानक तूफान, बचाव के लिए चल रहा सबसे बड़ा अभियान
भुवनेश्वर [जागरण स्‍पेशल] ओडिशा में फानी तूफान ने दस्तक दे दी है। इसके साथ आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी इस तूफान का बड़ा असर पड़ा है। तूफान की गंभीरता को देखते हुए पहले ही 10 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा चुका है। इस कारण कई इलाकों में बिजली गुल हो गई है और बड़े पैमाने पर संचार सेवाएं बाधित हुई हैं। इस तूफान की रफ्तार औसतन 180-200 किलोमीटर प्रति घंटा है। ओडिशा के पुरी में फेनी की अधिकतम रफ्तार 245 किमी प्रति घंटा है। पुरी के तटों से भूस्खलन शुरू हो गया है। इस कारण ओडिशा में भारी बारिश हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 10 हजार गांव और 52 शहर इस भयानक तूफान के रास्ते में आएंगे। 20 साल में पहली बार इतना भयानक तूफान आया है।

इधर, वायुसेना, थलसेना और NDRF की टीमें अलर्ट पर हैं। एनडीआरएफ की 54, ओडिशा डिजास्टर मैनेजमेंट रैपिड ऐक्शन फोर्स की 20 यूनिट और फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के 525 लोग रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है। कोस्‍ट गार्ड के 8 दस्‍ते तैनात किए गए हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की 302 रैपिड रिस्‍पांस फोर्स टीम तैनात की गई हैं। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुटि्टयां रद्द कर दी गई हैं। स्‍कूलों और इसके अलावा नौसेना के 2 जहाज और 4 चीता हेलीकॉप्‍टर तैनात किए गए हैं। 

फानी से निपटने के लिए 13 नेवी एयरक्राफ्ट विशाखापत्तनम में तैयार खड़े हैं, जिससे समय रहते क्षति का आकलन और राहत कार्य पूरा हो सके। ओडिशा की तरफ जाने वाली करीब 223 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है और कई ट्रेनों के रूट बदले गए हैं। शनिवार को यह तूफान पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिन के लिए चुनाव प्रचार स्‍थगित कर दिया है। वह दो दिन खड़गपुर में ही रहेंगी। मौसम विभाग ने ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी के मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है। प्रदेश में तट पर और उसके पास समुद्र में स्थिति बेहद खराब हो सकती है। 

कच्चे मकान और कमजार इमारत हो सकती हैं तबाह
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इस तूफान से झोपड़ियां और कच्चे मकान बर्बाद हो सकती हैं। सड़कें और फसलों को नुकसान हो सकता है। बिजली के खंभे गिरने और तूफान की वजह से उड़ने वाली वस्तुओं से भी खतरा बना हुआ है। खुर्दा, कटक, जाजपुर, भद्रक और बालासोर जिलों से होते हुए तूफान उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ेगा। इसके बाद पश्‍चिम बंगाल और फिर बांग्लादेश की ओर मुड़ जाएगा।

पीएम मोदी ने अफसरों के साथ बैठक
गृह मंत्रालय ने बताया कि पीएम मोदी ने फेनी तूफान से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक की। इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) के आधिकारी ने बताया कि 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद यह पहली बार होगा, जब राज्य इतने भीषण तूफान का सामना करेगा।

सुपर साइक्लोन में हुई थी 10 हजार लोगों की मौत
1999 में आए सुपर साइक्लोन में 10 हजार लोगों की जान चली गई थी। उस तूफान की रफ्तार 270-300 किलोमीटर प्रति घंटा थी। वहीं, फानी तूफान करीब 4-6 घंटे तक बेहद भीषण बना रहेगा। इसके बाद यह धीरे-धीरे कमजोर होगा। इस दौरान समुद्र में 1.5 से 2 मीटर तक ऊंची लहरें उठ सकती हैं, जिसकी वजह से गंजम, खुर्दा, पुरी, जगतसिंहपुर जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है।

कोलकाता हवाईअड्डे को किया गया बंद
तूफान को देखते हुए बड़े पैमाने पर हुए ऑपरेशन में गुरुवार शाम सात बजे तक लगभग 8 लाख लोगों को निचले इलाकों से निकाला गया। तटीय जिलों में रेल, सड़क और हवाई यातायात पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। गुरुवार मध्यरात्रि से बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें 24 घंटे के लिए रोक दी गई हैं। कोलकाता एयरपोर्ट भी शुक्रवार रात से शनिवार शाम 6 बजे तक बंद रहेगा।

चुनाव आयोग ने हटाई आचार संहिता
उधर, चुनाव आयोग ने बचाव और राहत कार्यों की सुविधा के लिए 11 जिलों से आदर्श आचार संहिता हटा ली है। इसके अलावा आयोग ने गजपति और जगतसिंहपुर जिलों के चार विधानसभा क्षेत्रों के इवीएम को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने को भी मंजूरी दे दी है।

घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील
राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि घरों में रहें और तूफान गुजरने तक बाहर न निकलें। सभी शैक्षणिक संस्थान, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, दुकानें और कार्यालय शुक्रवार सुबह बंद रहेंगे। गाड़ियों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोगों से न घबराने की अपील करते हुए कहा है कि राज्य सरकार तूफान से निपटने के लिए तैयार है। प्रत्येक जीवन हमारे लिए अनमोल है।'

मुख्यमंत्री ने की अधिकारियों के साथ कई बैठकें
मुख्यमंत्री पटनायक ने डीएमों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं और राज्य की तैयारियों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने टेलिकॉम ऑपरेटर्स शीर्ष अधिकारियों से आपदा के बाद टेलिकम्युनिकेशन लाइनों की तत्काल बहाली सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है।

तूफान में फंसे पर्यटकों के लिए बसों का संचालन 
दक्षिण बंगाल में भी तूफान का असर देखा जा सकता है। तूफान में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम (SBSTC) ने दीघा से 50 बसों का संचालन शुरू किया है। सुबह पांच बजे से ही पर्यटकों को निकालने के लिए बसों का संचालन शुरू कर दिया था। रेल सेवाओं भी बाधित हो गई है। ईस्ट कोस्ट रेलवे ने आज 10 ट्रेनों को और रद कर दिया है। बता दें कि रेलवे ने इसके पहले 1 से 3 मई तक कुल 147 ट्रेनों को रद किया था।

कैसे पड़ा फानी  नाम?
यह नाम बांग्लादेश की ओर से दिया गया है। बता दें कि पहले विश्‍व मौसम विज्ञान संगठन की ओर से नाम तय किए जाते थे, लेकिन साल 2004 से भारत में भी तूफान का नाम देने का चलन शुरू हुआ। हालांकि भारत अकेला किसी तूफान का नाम नहीं देता है। भारत समेत पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाइलैंड आठ देश मिलकर तूफान का नाम रखते हैं। अब इन देशों में आने वाले तूफान का अलग-अलग देश नाम रखते हैं।

इन आठ देशों ने 64 नाम तय कर लिए हैं, जिसमें से क्रमवार एक तूफान का नाम तय कर लिया जाता है। पिछली बार 'तितली' तूफान का नाम पाकिस्तान ने रखा था। बताया जाता है कि भारत ने 'अग्नि', 'बिजली', 'मेघ', 'सागर' और 'आकाश' जैसे नाम दिए हैं जबकि पाकिस्तान ने 'निलोफर', 'बुलबुल' और 'तितली' जैसे नाम सुझाए हैं। अब इन नामों में से ही तूफान का नाम रखा जाता है और इस बार बांग्लादेश का क्रम था तो इस तूफान का नाम फानी रखा गया।

फानी का मतलब?
फानी एक बांग्ला शब्द है और यह नाम बांग्लादेश ने दिया है। फानी शब्द का इस्तेमाल विध्वंस या नाशवान के रूप में किया जाता है। वैसे इसका शाब्दिक अर्थ 'सांप का फन' है। कई लोगों इसे 'फोनी' के रूप में भी इसका उच्चारण करते हैं। 

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