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ISIS में शामिल होने की कोशिश करने वाले तीन आरोपियों को केरल HC से झटका, जानें पूरा मामला

Kerala High Court News आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने की कोशिश करने वाले तीन आरोपियों को कोर्ट से झटका लगा है। केरल हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की सजा निलंबित करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने अहम टिप्पणी भी की है।

By AgencyEdited By: Manish NegiUpdated: Tue, 14 Feb 2023 12:29 PM (IST)
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ISIS में शामिल होने की कोशिश करने वाले तीन आरोपियों को केरल HC से झटका
कोच्चि, एजेंसी। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि आतंकवाद लोगों के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली एक बुराई है। इसके साथ ही कोर्ट ने आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया जाने का प्रयास करने के दोषी ठहराए गए तीन व्यक्तियों की सजा निलंबित करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म आतंकवाद या नफरत नहीं फैलाता, लेकिन कुछ कट्टरपंथियों या धार्मिक कट्टरपंथियों ने आतंकवाद और नफरत के संदेश फैलाने के लिए धर्म के विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।

आरोपियों के खिलाफ साबित हुआ दोष- न्यायाधीश

न्यायमूर्ति एलेक्जेंडर थॉमस और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने सजा निलंबित करने और तीनों आरोपियों मिदलज, अब्दुल रजाक और हम्जा को जमानत देने से इन्कार कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ दोष साबित हुआ है, भले ही वे अपनी सजा के एक बड़े हिस्से को काट चुके हैं।

कट्टरपंथियों ने धर्म के विचार को विकृत किया- कोर्ट

अदालत ने कहा, “आतंकवाद लोगों के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली बुराई है। यह सभी प्रकार से राष्ट्र के विकास को प्रभावित करता है। वास्तव में कोई भी धर्म आतंकवाद या घृणा का प्रचार नहीं करता है। मगर, दुर्भाग्य से कुछ धार्मिक कट्टरपंथियों ने आतंकवाद और घृणा के संदेशों को फैलाने के लिए धर्म के विचारों को विकृत कर दिया है। वे यह नहीं जानते हैं कि यह समाज के साथ-साथ पूरे देश को कितना नुकसान पहुंचा रहा है।”

गुमराह हुए युवा समाज में शांति को नष्ट कर देते हैं

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आतंकी संगठनों के आह्वान से आकर्षित निर्दोष युवा हिंसा और देश विरोधी गतिविधियों का शिकार हो जाते हैं। वे समाज में शांति को नष्ट कर देते हैं, अपने साथी लोगों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और देश की अखंडता से बेपरवाह हो जाते हैं।

दोषियों के आवेदन पर गंभीरता से विचार करना जरूरी था- कोर्ट

कोर्ट ने आगे कहा कि दोषियों के आवेदन पर गंभीरता से विचार किया जाना था, क्योंकि वे राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता और नागरिकों की स्वतंत्रता और आजादी के खिलाफ काम कर रहे थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, छह आरोपी व्यक्तियों ने भारत सरकार के साथ एशियाई शक्तियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए हिंसक "जिहाद" में शामिल होने के लिए आतंकवादी संगठन से जुड़ने का प्रयास किया।

ऐसे हुई थी तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी

मिदलज और रजाक को तुर्की के अधिकारियों ने तब रोका, जब वे सीरिया में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद दोनों को भारत वापस भेज दिया गया था। हम्जा को तब गिरफ्तार किया गया, जब उसने भारत छोड़ने के लिए एक टिकट रद्द कर दिया। दरअसल, उसे यह पता चल गया था कि इसी मामले में एक अन्य आरोपी को मंगलुरु हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था।

हम्जा को 15 जुलाई 2022 को ठहराया गया था दोषी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अदालत को बताया कि हम्जा केरल में आईएसआईएस की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले मास्टरमाइंड्स में से एक था। उसने युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें इस्लामिक स्टेट में भेजने के अलावा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन में शामिल किया। उसे 25 अक्टूबर 2017 को गिरफ्तार किया गया और 15 जुलाई 2022 को दोषी ठहराया गया।