Riyaz Naikoo की मौत से हिजबुल को बड़ा झटका, संगठन की कमर टूटी, जानें- क्या होगा इसका असर
कश्मीर में एक तरह से हिजबुल लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों को एक तरह से अंसार गजवातुल हिंद और इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों की विचारधारा से भी लड़ना लड़ना पड़ रहा है।
पुलवामा के बाद बढ़ गई थी चुनौतियां: पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर जैश के आत्मघाती हमले के बाद पाकिस्तान को दुनिया को दिखाने के लिए लश्कर,जैश व हिजबुल की गतिविधयों पर कुछ लगाम लगाने को मजबूर होना पड़ा। इन संगठनों की गतिविधियों में कमी आई। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद कश्मीर में अलगाववादी और जिहादी मानसिकता वाले युवकों व उनके समर्थकों का भी पाकिस्तान, लश्कर,जैश व हिजबुल से किसी हद तक मोह भंग हुआ है। सुरक्षाबलों के करारे प्रहार ने उनका मनोबल तोड़ दिया।
यही कारण है कि निराश कमांडरों को जाेड़े रखने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने टीआरएफ, टीएमआइ और गजनवी फोर्स जैसे संगठनों को जन्म दिया। यह संगठन एक तरह से लश्कर व जैश के फ्रंट है। इनका कैडर उनसे ही निकला है। ऐसे में रियाज नाइकू को मार गिराने के बाद हिजबुल के लिए संभलना आसान नहीं है। खास बात यह है कि जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान में बैठे उनके आका क्या रुख अपनाते हैं, इस पर भी काफी निर्भर करेगा। सुरक्षाबल भी संगठन के सफाए का यह मौका चूकना नहीं चाहेंगे।
यह भी पढ़ें: