नदियों में बहते शवों का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें जनहित याचिका में क्या की गई है मांग
मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमितों के शवों को नदी किनारे दफनाने से आसपास रहने वालों का पेयजल प्रदूषित हो रहा है। इससे पानी के जरिये संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। लोगों का स्वास्थ्य का अधिकार प्रभावित हो रहा है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 30 May 2021 11:35 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नदियों में बहते शवों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है। इसमें त्रिस्तरीय कमेटी बना शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कराने और गंगा के किनारों को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करते हुए उन्हें संरक्षित करने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत में यह याचिका वकील विनीत जिंदल ने दाखिल की है।
इसमें केंद्र सरकार, नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा, उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिहार राज्य और बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में केंद्र, राज्य और पंचायत या म्यूनिसिपल स्तर पर कमेटी गठन के लिए सरकार को निर्देशित करने की मांग की गई है।त्रिस्तरीय कमेटी बनाकर शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कराने की मांग
ये कमेटियां शवों का सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि करवाएंगी। नदी तट से शवों को हटाकर गड्ढे भरे जाएं और किनारों की पारिस्थितिकी बहाल की जाए। याचिका में कहा गया है कि नदी के किनारे शवों को दफनाना स्थायी तौर पर उसका पारिस्थितिक संतुलन नष्ट करता है और उसकी भूगर्भ जल भरण क्षमता को प्रभावित करता है। यह पब्लिक ट्रस्ट के सिद्धांत का उल्लंघन है जो संविधान में अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन के अधिकार का हिस्सा है।
गंगा के किनारों को संवेदनशील क्षेत्र घोषित करते हुए संरक्षित करने की आवाज उठाई
मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमितों के शवों को नदी किनारे दफनाने से आसपास रहने वालों का पेयजल प्रदूषित हो रहा है। इससे पानी के जरिये संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। लोगों का स्वास्थ्य का अधिकार प्रभावित हो रहा है।याचिका में यह भी मांग की गई है कि सरकार को आदेश दिया जाए कि वह नदी किनारे रहने वालों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे ताकि लोग दूषित पानी पीने को मजबूर न हों। जहां नदियों में शव बहते पाए गए हैं, वहां कैंप लगाकर तथा घर-घर जाकर जांच की जाए, ताकि कोरोना न फैले। नदी किनारे गांवों में घर-घर जाकर टीकाकरण किया जाए। उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए जो श्मशान या कब्रिस्तान में अंत्येष्टि कराने के नाम पर पैसे वसूलते हैं।