केंद्र सरकार ने जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल का सुप्रीम कोर्ट में किया बचाव, कहा- सोच विचार कर दी गई मंजूरी
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि फील्ड ट्रायल की मंजूरी सोच विचार के बाद पूरी सावधानियां और शर्तों के साथ दी गई है। दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका कनाडा और आस्ट्रेलिया में दशकों से इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि फील्ड ट्रायल की मंजूरी सोच विचार के बाद पूरी सावधानियां और शर्तों के साथ दी गई है। दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में दशकों से इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इससे भारत में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले सरसों के तेल का उत्पादन बढ़ेगा। सरकार ने यह भी कहा कि कोर्ट को वैज्ञानिक तकनीक अपनाए जाने के मुद्दे पर विचार नहीं करना चाहिए। कोर्ट सिर्फ प्रक्रिया को लेकर मामले पर विचार कर सकता है ये नहीं कह सकता कि ये तकनीक अपनाई जानी चाहिए ये नहीं। कोर्ट ये पूछ सकता है कि ये तकनीक ठीक है कि नहीं।
वैज्ञानिक तकनीक की तह तक नहीं जा रहे: अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी
इस पर मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने सरकार की ओर से पैरोकारी कर रहे अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा कि वे वैज्ञानिक तकनीक की तह और बारीकियों में नहीं जा रहे और न ही यह उनका कार्य क्षेत्र और विशेषज्ञता है लेकिन कोर्ट जानना चाहता है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस तकनीक को अपनाने के लिए क्या सावधानियां और उपाय हुए हैं।
केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर को जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल को मंजूरी दे दी थी
कोर्ट ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित करते हुए सरकार से कहा कि अगली सुनवाई पर वह याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों और संसदीय समिति की रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करें। केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर को जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल को मंजूरी दे दी थी। अरुणा रोड्रिग्स और जेन कैंपेन संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल की मंजूरी का विरोध करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फील्ड ट्रायल दूसरी फसलों, इंसानों की सेहत और पर्यावरण के लिए खतरनाक है।
कोर्ट फिलहाल याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतरिम रोक की मांग पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले बुधवार को केंद्र ने जीएम फसलों के बारे में 10 मई 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि उस आदेश में कोर्ट ने निगरानी के लिए टेक्निकल कमेटी गठित की थी और उस आदेश में कोर्ट ने इस पर रोक नहीं लगाई थी बल्कि एक रेगुलेटरी तंत्र स्थापित करने की बात उस आदेश में थी। उसके बाद कमेटी गठित की गई। कई वर्षों से प्रक्रिया चल रही है।
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