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सेंगोल के सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक होने का दावा झूठा! जयराम रमेश ने धार्मिक मठ के बयान का दिया हवाला

जयराम रमेश ने कहा कि सेंगोल के बारे में सामने आए नए तथ्यों से साफ हो गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक के रूप में अंग्रेजों द्वारा सेंगोल सौंपने की कहानी झूठी हे और भाजपा की फर्जी फैक्ट्री का पर्दाफाश हो गया है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 09 Jun 2023 09:52 PM (IST)
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कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश और सेंगोल की फाइल फोटो।(फोटो-जागरण)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद के नए भवन में स्थापित किए गए सेंगोल को लेकर फिर से विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने तमिलनाडु के एक धार्मिक मठ तिरुवदुथुराई अधीनम के प्रमुख स्वामी के बयानों को आधार बनाते हुए दावा किया है कि सेंगोल न कभी लार्ड माउंटबेटेन को सौंपा गया था और न ही सी राजगोपालाचारी से इस बारे में कोई चर्चा की गई थी।

भाजपा के झूठ का हुआ पर्दाफाश

उन्होंने कहा कि सेंगोल के बारे में सामने आए नए तथ्यों से साफ हो गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक के रूप में अंग्रेजों द्वारा सेंगोल सौंपने की कहानी झूठी हे और भाजपा की फर्जी फैक्ट्री का पर्दाफाश हो गया है।

हालांकि, भाजपा की ओर से भी कई प्रकाशित तथ्यों को सामने रखते हुए इसकी ऐतिहासिकता का दावा किया गया था। संसद के नए भवन के लोकार्पण के मौके पर पीएम मोदी ने लोकसभा में स्पीकर के आसन के दायीं ओर सेंगोल को वैदिक-विधान से स्थापित किया था।

लॉर्ड माउंटबेटन की गैर मौजूगी में नेहरू को सौंपा गया था सेंगोल: जयराम रमेश

जयराम रमेश ने शुक्रवार को एक अंग्रेजी अखबार में तिरुवदुथुराई अधीनम के प्रमुख श्री ला श्री अंबालावना देसिका परमाचार्य स्वामीगल के प्रकाशित साक्षात्कार का हवाला देते हुए फिर से सवाल उठाए, जिसमें स्वामी ने कहा है कि जब सेंगोल पंडित नेहरू को सौंपा गया था उस समय न तो लॉर्ड माउंटबेटन और न ही राजगोपालाचारी वहां मौजूद थे।

सेंगोल सौंपने के दौरान नेहरू के साथ राजारत्नम पिल्लई भी थे मौजूद

सेंगोल 14 अगस्त, 1947 को रात 10 बजे पंडित नेहरू को उनके आवास पर भेंट किया गया। जयराम ने कहा कि पंडित नेहरू को सेंगोल सौंपने के दौरान की तस्वीर में दिखाई दे रहे प्रसिद्ध नागास्वरम कलाकर टीएन राजारत्नम पिल्लई भी हैं।

राजारत्नम को सेंगोल भेंट करने के लिए भेजा गया था दिल्ली: जयराम रमेश

उनके मुताबिक केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट के एक आलेख में कहा गया है कि जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की तो तिरुवदुतुरई मठम के पंडारसन्नधि द्वारा राजारत्नम को दिल्ली भेजा गया था ताकि उनकी ओर से ठोस सोने की सेंगोल (प्रतीक) की एक गदा भेंट की जा सके। राजरत्नम इस गौरवपूर्ण विशेष अवसर पाने को लेकर रोमांचित थे।

डॉ पी सुब्बारायण ने उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलवाया और राजरत्नम ने गदा सौंपने से पहले नेहरू नागस्वरम की धुन सुनाई। जयराम ने कहा कि राजारत्नम पिल्लई खुद एक प्रसिद्ध जापनी प्राचीन संज्ञीत अध्ययनकर्ता की बायोग्राफी का एक आकर्षक विषय हैं और इसमें 14 अगस्त 1947 की घटना का जिक्र किया गया है।