चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण से कांग्रेस संतुष्ट, हरियाणा से जुड़े आरोपों पर थमा विवाद
आयोग का कहना है कि कांग्रेस ने नए पत्र में चुनाव आयोग की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण पर कुछ नहीं कहा है। इसका अर्थ है कि कांग्रेस जवाब से संतुष्ट है और प्रक्रिया पर अब कोई सवाल नहीं है। आयोग ने कांग्रेस पार्टी को अपने नजरिए में बदलाव लाने की नसीहत दी है। आयोग कांग्रेस के नए पत्र को खुद के लिए जीत की तरह देख रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुछ अनियमितताओं को लेकर कांग्रेस के आरोप के बाद चुनाव आयोग के जवाबी पत्र से भी कांग्रेस तिलमिला गई थी और अदालत जाने की चेतावनी भी दी थी। आयोग कांग्रेस के नए पत्र को खुद के लिए जीत की तरह देख रहा है।
आयोग का कहना है कि कांग्रेस ने नए पत्र में चुनाव आयोग की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण पर कुछ नहीं कहा है। इसका अर्थ है कि कांग्रेस जवाब से संतुष्ट है और प्रक्रिया पर अब कोई सवाल नहीं है। आयोग ने कांग्रेस पार्टी को अपने नजरिए में बदलाव लाने की नसीहत दी है।
कांग्रेस ने कुछ ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे
हरियाणा के नतीजों के बाद कांग्रेस ने कुछ ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे। उसके जवाब में आयोग ने लंबा जवाब दिया था और यह भी आरोप लगाया था कि कांग्रेस की ओर से जिस तरह के सवाल उठाए गए उससे चुनाव में अराजकता पैदा हो सकती थी। कांग्रेस इस आरोप से बेहद तिलमिलाई हुई थी और अदालत जाने की चेतावनी भी दी थी।शनिवार को आयोग ने कांग्रेस की ओर से लिखे गए पत्र के हवाले से कहा कि पत्र में हरियाणा चुनाव से जुड़े आरोपों को लेकर दिए गए जवाब के बाद कोई नया सवाल नहीं खड़ा किया गया है। जिससे साफ है कि आयोग ने जिन आधारों पर उनके आरोपों को सिरे से खारिज किया है, वह उससे सहमत है। आयोग से जुडे अधिकारियों की मानें तो कांग्रेस के पत्र में जो एक नया विषय जोड़ा गया है, वह पूर्व चुनाव आयुक्त द्वारा 2019 के चुनावों को लेकर असहमति नोट को सार्वजनिक नहीं किए जाने को लेकर है।
प्रतिक्रिया के लिये किया गया मजबूर
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि हमें हरियाणा चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों पर 9 अक्टूबर 2024 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाई गई, गंभीर चिंताओं पर आपका 29 अक्टूबर 2024 का उत्तर प्राप्त हुआ है।कांग्रेस ने दी थी कोर्ट जाने की चेतावनी
जयराम रमेश ने कहा था कि यह एक कर्तव्य का प्रदर्शन है जिसे करना आवश्यक है। यदि आयोग हमें सुनवाई देने से इनकार कर रहा है या कुछ शिकायतों पर शामिल होने से इनकार कर रहा है, तो कानून चुनाव आयोग को इस कार्य का निर्वहन करने के लिए मजबूर करने के लिए उच्च न्यायालयों के असाधारण क्षेत्राधिकार का सहारा लेने की अनुमति देता है।