देश भर में बढ़ी बाघों की गुर्राहट, चार साल में 715 बढ़े; केंद्रीय वन राज्यमंत्री ने जारी किए आंकड़े
देश भर में बाघों की गुर्राहट बढ़ी है। चार वर्ष में बाघों की संख्या 3682 पहुंच गई है जबकि 2018 में यह संख्या 2967 थी। बाघों की संख्या में 715 की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही भारत दुनिया के लगभग 75 प्रतिशत बाघों का आवास बन गया है। देश में 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश अव्वल है और उसका टाइगर स्टेट का दर्जा कायम है।
By Paras PandeyEdited By: Paras PandeyUpdated: Sun, 30 Jul 2023 04:24 AM (IST)
नैनीताल,जागरण संवाददाता। देश भर में बाघों की गुर्राहट बढ़ी है। चार वर्ष में बाघों की संख्या 3682 पहुंच गई है, जबकि 2018 में यह संख्या 2967 थी। बाघों की संख्या में 715 की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही भारत दुनिया के लगभग 75 प्रतिशत बाघों का आवास बन गया है। देश में 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश अव्वल है और उसका टाइगर स्टेट का दर्जा कायम है।
विश्व बाघ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने देश के सभी 53 टाइगर रिजर्व में मौजूद व राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी किए। इसके अनुसार, बाघों की संख्या में वार्षिक छह प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हो रही है। शनिवार को रामनगर (उत्तराखंड) के ढिकुली स्थित रिसार्ट में अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भारत में बाघों की सुरक्षा व सरंक्षण का अच्छा प्रबंधन है। यही वजह है कि बाघों की संख्या बढ़ रही है।
बाघ पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। जिस उद्देश्य से टाइगर रिजर्व का गठन हुआ है हम उसमें आगे बढ़े हैं। बाघ संरक्षण के 50 वर्ष उपलब्धियों से भरे रहे हैं। भारत विश्व में सबसे अधिक बाघों वाला देश है। इसके चलते इनके संरक्षण व संवर्धन की चुनौतियां भी हमारे सामने हैं। कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने बाघ सरंक्षण की दिशा में हो रहे कार्यों की सराहना की। सीएम पुष्कर धामी ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि देवभूमि बाघों का भी खजाना है। इनके संरक्षण व सुरक्षा के लिए उत्तराखंड में बेहतरीन काम हो रहा है।
पीएम ने अप्रैल में जारी किया था समग्र आंकड़ा
राष्ट्रीय बाघ संस्करण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से हर चार साल में टाइगर रिजर्व व आसपास के क्षेत्र में बाघों की गणना कराई जाती है। 2018 के बाद 2022 में कराई गई गणना का समग्र परिणाम इस साल नौ अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मैसुरु में घोषित किया था। इसमें देश भर में न्यूनतम 3167 बाघ होने की घोषणा की गई थी। तब राज्यवार व टाइगर रिजर्व के हिसाब से सूची जारी नहीं हुई थी।
पांच टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं, सात में सिर्फ एक
मिजोरम का डंपा टाइगर रिजर्व, अरुणाचल प्रदेश का कमलेंग, तेलंगाना का कवल टाइगर रिजर्व, उड़ीसा के सटकोसिया व सहायद्री टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं मिला है। इसके अलावा बंगाल के बक्सा, अरुणाचल के नामदफा, राजस्थान के रामगढ़ विषधारी और मुंकदरा, झारखंड के पलामू, छत्तीसगढ़ के सीतानदी व इंद्रावती टाइगर रिजर्व में सिर्फ एक-एक बाघ की ही मौजूदगी मिली है। इसके अलावा कई ऐसे टाइगर रिजर्व भी हैं जहां संख्या पांच से भी कम है।इसमें उत्तर प्रदेश के रानीपुर में बाघों की संख्या चार, असम के नमेरी टाइगर रिजर्व में तीन और छत्तीसगढ़ के अचंकमर, तमिलनाडु के कलाकढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या पांच ही रही। इन राज्यों में दर्ज की गई गिरावट :कई राज्यों में जहां बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, वहीं अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और झारखंड में कुछ वर्षों के दौरान इसमें गिरावट दर्ज की गई है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इन राज्यों से अपील की है कि वे बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास करें।