Move to Jagran APP

झांसी का नाम आते ही मन में कौंध उठता है रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे समय में लोगों को क्रांति के अग्रदूतों के बारे में अवश्य पढऩा चाहिए। इन्हीं की रखी नींव पर हमने आजाद भारत की भव्य इमारत तैयार की है। रानी लक्ष्मीबाई भी उनमें प्रमुख नाम हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sun, 27 Feb 2022 10:43 AM (IST)
Hero Image
रानी की वीरता का वर्णन पाठक को रोमांचित कर देता है।
अमित तिवारी। बुंदेलखंड को भारत की हृदयस्थली कहा जाता है। इस हृदयस्थली का केंद्र है झांसी और झांसी का नाम आते ही मन में कौंध उठता है रानी लक्ष्मीबाई का नाम। रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वह वीरांगना हैं, जिनके बारे में जितना भी पढ़ा जाए कम लगता है। अलग-अलग लेखकों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से झांसी की इस वीरांगना को शब्द-श्रद्धांजलि दी है। डा. प्रमोद कुमार अग्रवाल की पुस्तक 'झांसी की वीरांगना' रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में ऐसा ही पुष्प है।

मूलत: झांसी के ही रहने वाले डा. प्रमोद ने रानी लक्ष्मीबाई के विशाल व्यक्तित्व को बहुत करीने से अपनी पुस्तक में सजाया है। पुस्तक की शुरुआत जिस तरह झांसी के परिचय के साथ होती है, ऐसा लगता है मानो झांसी का कोई चलचित्र आंखों के सामने चल रहा हो। एक लेखक के दृष्टिकोण से यह बड़ी उपलब्धि होती है, जब उसके शब्द चित्रों की भांति पाठक के मन पर अंकित होने लगें।

पुस्तक में रानी लक्ष्मीबाई के जन्म से उनके बलिदान तक की पूरी कथा को समेटा गया है। रानी के विवाह, मनु से लक्ष्मीबाई बनने की यात्रा, अंग्रेजों की चाल, चेहरे और चरित्र को लेकर उनकी समझ जैसे हर पहलू को इसमें पिरोया गया है। पुस्तक में एक कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में रानी की योग्यता को भी स्थापित किया गया है। किस तरह से उन्होंने अंग्रेजों के प्रस्ताव पर राज्य के सभी प्रमुख लोगों से राय ली और कैसे अंग्रेजों की चाल को भांपकर तत्काल राज्य में तैयारी शुरू कर दी गई, हर बात को बारीकी से बताने का प्रयास किया गया है। युद्ध का नेतृत्व करते समय रानी की वीरता का वर्णन पाठक को रोमांचित कर देता है।

----------------

पुस्तक : झांसी की रानी

लेखक : डा. प्रमोद कुमार अग्रवाल

मूल्य : 500 रुपये

प्रकाशक : प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली

--------------------------------------------------------------------