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विभिन्न उद्योगों पर अलग-अलग होगा लाल सागर में चल रहे संकट का असर, व्यवधान लंबा चला तो ये सेक्टर होंगे प्रभावित

लाल सागर व्यापारिक मार्ग में संकट तब शुरू हुआ जब यमन स्थित हाउती विद्रोहियों ने अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इजरायल-फलस्तीन युद्ध के कारण नवंबर में वहां से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर लगातार हमले किए। घरेलू कंपनियां यूरोप उत्तरी अमेरिका उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के हिस्से के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर के मार्ग का उपयोग करती हैं।

By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Sun, 28 Jan 2024 08:35 PM (IST)
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लाल सागर जल मार्ग में उत्पन्न संकट से भारत के कई उद्योग प्रभावित।(फोटो सोर्स: जागरण)
पीटीआई, मुंबई। लाल सागर जल मार्ग के आसपास चल रहे संकट का प्रभाव विभिन्न उद्योगों पर अलग-अलग होगा। पिछले वित्त वर्ष में देश के निर्यात का 50 प्रतिशत और आयात का 30 प्रतिशत इस मार्ग से हुआ है। क्रिसिल रेटिंग्स ने लाल सागर संकट के कारण देश के विभिन्न सेक्टर पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है।

लाल सागर व्यापारिक मार्ग में संकट तब शुरू हुआ जब यमन स्थित हाउती विद्रोहियों ने अक्टूबर, 2023 में शुरू हुए इजरायल-फलस्तीन युद्ध के कारण नवंबर में वहां से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर लगातार हमले किए।

पिछले वित्त वर्ष में देश का कुल वस्तु व्यापार 94 लाख करोड़ रुपये

घरेलू कंपनियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के हिस्से के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर के मार्ग का उपयोग करती हैं। पिछले वित्त वर्ष में देश से 18 लाख करोड़ रुपये का निर्यात (50 प्रतिशत) और 17 लाख करोड़ रुपये का आयात (30 प्रतिशत) इन क्षेत्रों से हुआ था।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में देश का कुल वस्तु व्यापार 94 लाख करोड़ रुपये था। इसमें मूल्य के तौर पर 68 प्रतिशत और मात्रा के तौर पर 95 प्रतिशत समुद्री मार्ग से हुआ था। कृषि वस्तुओं और समुद्री खाद्य पदार्थों के जल्द खराब होने की प्रकृति के चलते इन पर महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है।

व्यापारिक मार्ग में संकट खींच जाने से क्या होगा

दूसरी ओर, कपड़ा, रसायन और पूंजीगत सामान जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों पर तुरंत प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, अगर यह संकट लंबा चला तो इन क्षेत्रों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि आर्डर घटने से उनकी कार्यशील पूंजी का चक्र प्रभावित होगा।

नवंबर, 2023 से लाल सागर क्षेत्र मार्ग से जाने वाले जहाजों पर बढ़ते हमलों ने जहाजों को 'केप ऑफ गुड होप' के वैकल्पिक लंबे मार्ग पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। इससे न केवल सामानों की आपूर्ति का समय 15-20 दिन तक बढ़ गया है, बल्कि माल ढुलाई दरों और बीमा प्रीमियम में वृद्धि के कारण लागत में भी वृद्धि हुई है।

कच्चे तेल की आपूर्ति पर असर नहीं: एचपीसीएल

हिंदुस्तान पेट्रोलियम के चेयरमैन पुष्प कुमार जोशी ने कहा कि लाल सागर में हाउती विद्रोहियों द्वारा मालवाहक जहाजों पर किए जा रहे हमलों से भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है। हालांकि केप आफ गुड होप के वैकल्पिक मार्ग से आपूर्ति के चलते माल ढुलाई की लागत बढ़ गई है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और रूस से मंगाया जाने वाला कच्चा तेल लाल सागर के रास्ते से ही आता है।

 उधर, आर्थिक थिंक टैंक जीटीआरआइ ने कहा कि अगर लाल सागर व्यापार मार्ग पर लंबे समय तक व्यवधान चला तो इलेक्ट्रानिक्स, आटोमोबाइल, केमिकल, उपभोक्ता सामान और मशीनरी जैसे कुछ सेक्टर को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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