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भोजन की जरूरत बढ़ा रही है हाथी और मानव के बीच संघर्ष, इस तरह से निकल सकता है हल

हाथी और मानव के बीच संघर्ष के पीछे कई वजहें है। जिसमें जंगल के आसपास लगातार बढ़ रहा अतिक्रमण है। जिसमें लोगों की बसाहट अब जंगल के पास तक पहुंच गई है। इससे न सिर्फ हाथियों की शांति में खलल पड़ रही है बल्कि यह हलचल उनके गुस्से को बढ़ा रही है। हाथियों और मानव के बीच का संघर्ष दिनों-दिन भयानक रूप लेते जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 08 Nov 2024 05:45 AM (IST)
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भोजन की जरूरत बढ़ा रही है हाथी और मानव के बीच संघर्ष
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। हाथियों और मानव के बीच का संघर्ष दिनों-दिन भयानक रूप लेते जा रहा है। जिसमें हर साल सौ से अधिक हाथियों और छह सौ से अधिक लोगों की मौत हो रही है। लेकिन इन मौतों के बाद भी इस संघर्ष के पीछे की वजह में कोई जाना नहीं चाहता है। जबकि इसकी मुख्य वजह दोनों के बीच सिर्फ अपने-अपने भोजन और भूख मिटाने को लेकर संघर्ष है।

हाथी जहां जंगल में पर्याप्त और पौष्टिक भोजन न मिलने पर जंगल से बाहर निकलकर खेतों में लगी फसल को खाने के लिए कोई भी जोखिम उठाने को तैयार है वहीं किसान भी अपने भोजन के लिए खेतों में लगी फसलों को बचाने के लिए हर जतन करने में जुटे है। जिसमें कभी वह खेतों में सुरक्षित रखने के लिए बिजली का करंट लगाते है तो कभी जहरीले पदार्थों का छिड़काव करते है।

पिछले कुछ सालों में हाथियों की मौत में बढ़ोतरी

हाथी और मानव के बीच इस संघर्ष के पीछे इसके अतिरिक्त भी कई वजहें है। जिसमें जंगल के आसपास लगातार बढ़ रहा अतिक्रमण है। जिसमें लोगों की बसाहट अब जंगल के पास तक पहुंच गई है। इससे न सिर्फ हाथियों की शांति में खलल पड़ रही है बल्कि यह हलचल उनके गुस्से को बढ़ा रही है। वैसे भी पिछले कुछ सालों में जिस तरह से विकास के नाम में हाथियों के पारंपरिक सालों पुराने गलियारों को नष्ट किया गया है,वह भी हाथियों की मौत का एक बड़ा कारण है।

हालांकि पिछले सालों में हाथियों के ऐसे करीब डेढ़ सौ गलियारों की पहचान की गई और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों को इसे अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस पर केरल और असम जैसे राज्यों ने ही काम किया। हाथियों पर काम कर रहे वन्यजीव विशेषज्ञ नोयल थॉमस के मुताबिक यदि हाथियों को जंगल में ही पर्याप्त और पौष्टिक भोजन मिले तो वह जंगल से बाहर नहीं निकलेंगे।

इस तरह कम होगा हाथी-मानव संघर्ष

उन्होंने कहा कि इस संघर्ष को थामने के लिए जरूरी है कि जंगल को उनके अनुकूल बनाया जाए। दूसरा जंगल के आस-पास एक ऐसा जोन विकसित किया जाए, जहां हाथियों के फसलों को खाने पर किसानों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। इससे वह फसलों के खाने पर उनके ऊपर हिंसक नहीं होंगे। तीसरा जंगल के आसपास ऐसी फसलें उगाई जाए, जिसे हाथी नहीं खाते है, जैसे मिर्च आदि।

गौरतलब है कि देश में मौजूदा समय में हाथी बहुल 15 राज्य है। इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल है।

हाथियों के हमले में पिछले दो सालों में 12 सौ से अधिक लोगों की मौत

हाथी और मानव के बीच संघर्ष का सबसे दुखद पहलू यह है कि हर साल इस संघर्ष में छह सौ से अधिक लोग अपनी जान गंवा रहे है। इनमें सबसे अधिक मौतें अकेले ओडिशा में होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022- 23 में जहां देश में हाथियों के कारण के 605 लोगों की मौतें हुई थी।

वहीं वर्ष 2023-24 में 629 लोगों की हाथियों के कारण मौतें हुई। इन दोनों ही सालों में सबसे अधिक अकेले ओडिशा से थी। 2022-23 में यहां 148 लोगों की मौतें हुई थी, जबकि 2023-24 में 154 लोगों की मौतें हुई थी। इसके साथ पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, तमिलनाडु व छत्तीसगढ़ में भी इन सालों में पचास से अधिक मौतें हुई है।

पिछले दो सालों में ढ़ाई सौ से अधिक हाथियों की भी हुई मौत

हाथियों और मानव के बीच जारी संघर्ष में हर साल सौ से अधिक हाथियों की भी मौत हो रही है। इनमें हाथियों की सबसे अधिक मौतें ओडिशा में ही हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में यानी वर्ष 2022-23 और 2023-24 में देश में 254 हाथियों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है। इनमें सबसे अधिक 194 मौतें बिजली के करंट लगने से हुई है। जबकि करीब 32 मौतें रेल दुर्घटनाओं में, 23 अवैध शिकार में और पांच जहर के कारण हुई है।