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जनता ने खुद उठाया बीड़ा तो कालीसिंध नदी को मिला नया जीवन, ऐसे जी उठी मृत नदी

मध्य प्रदेश के बागली के लोगों ने कालीसिंध नदी को अपनी मेहनत से नया जीवन दे दिया है। जब लोगों ने इस विरासत को सहेजा तो यह मृत नदी भी जाग उठी।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:14 AM (IST)
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जनता ने खुद उठाया बीड़ा तो कालीसिंध नदी को मिला नया जीवन, ऐसे जी उठी मृत नदी
विनय बोथरा, देवास। मध्य प्रदेश के बागली इलाके में कालीसिंध नदी कभी सदानीरा हुआ करती थी। लेकिन लगातार उपेक्षा का शिकार होकर यह पूरी तरह सूख गई। प्रवाह क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ बंजर में तब्दील हो गया। ऐसे में जनता ने खुद बीड़ा उठाया और नदी को सहेजना शुरू किया। आज नदी में भरपूर पानी है। मानसून अभी पूरी तरह सक्रिय भी नहीं हुआ है कि नदी की रंगत बदल गई है।प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की लगातार अनदेखी के चलते कालीसिंध पूरी तरह सूख गई थी। इसमें करीब पांच से 10 फीट तक गाद जमा हो गई थी। इधर, बागली नगर सहित आसपास के गांवों में जलसंकट गहरा चुका था। जनता ने कई बार शासन को अवगत भी कराया, लेकिन पिछले 20 सालों की उपेक्षा ने नदी को तबाह कर दिया।

कालीसिंध नदी की दुर्दशा को देख बागली के युवा लामबंद हुए और 23 जनवरी को उद्गम स्थल बरझाई में नदी की सफाई कर इसे पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। चुनाव के कारण काम कुछ समय तक रुका, लेकिन चुनाव के बाद मात्र 10 दिन में ही 2200 ट्रॉली गाद नदी से निकाल बाहर कर दी। इस काम को पूरा करने के लिए लोगों ने चंदा भी किया और दो लाख रुपये जोड़े।

अब क्षेत्रीय जनता रणजीत बांध पर गेट लगाने की जुगत में है ताकि वर्षा जल को रोका जा सके। लोगों का कहना है कि अब सरकार के भरोसे नहीं बैठेंगे, स्वयं के खर्च पर गेट लगाकर अपने बलबूते जल संग्रहण भी करेंगे।

अब तक करीब एक किलोमीटर तक के प्रवाह क्षेत्र को गहरा किया जा चुका है। पहली बरसात में ही इस हिस्से में पांच से छह फीट तक पानी भर गया है। गहरी हो चुकी कालीसिंध में अब बरसात के बाद चार महीने से भी ज्यादा समय तक पानी भरा रह सकता है। वहीं, अब रणजीत बांध में 50 लाख लीटर अतिरिक्तपानी जमा हो सकेगा। यह जल संग्रहण नगर के कुओं, ट्यूबवेल और तालाबों के जलस्तर को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होगा।

चाह लें तो सबकुछ संभव
नदी के दिन बहुरे तो अब क्षेत्रीयजन कालीसिंध उत्सव मनाने की तैयारी में हैं। कालीसिंध नदी के किनारे पौधारोपण भी किया जाएगा। नदी किनारे अब सुबह-शाम अच्छी चहल-पहल रहने लगी है। पानी से लबालब नदी को देख लोग इतने गदगद हैं कि उनके लिए यह दृश्य किसी सौंदर्य से कम नहीं है। लिहाजा, इस दृश्य को सहेजने के लिए फोटो प्रतियोगिता भी आयोजित करने की योजना है। गहरीकरण के बाद बागली की कालीसिंध नदी हो गई है लबालब।