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जलाशयों में गाद की समस्या गंभीर, तत्काल उपाय किए जाने की जरूरत; केंद्र ने दिए राष्ट्रीय नीति बनाने के संकेत

विशेषज्ञों ने जलाशयों की गाद निकालने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया विकसित करने की आवश्यकता बताई। बैठक में राजस्थान और केरल ने अपने यहां जलाशयों से गाद निकालने के लिए अपनाए जा रहे राजस्व आधारित मॉडल प्रस्तुत किए जिसे दूसरे राज्य भी अपना सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 20 Jun 2023 08:44 PM (IST)
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गाद की समस्या को दूर करने के लिए मंत्रालय आइआइटी कानपुर और आइआइटी रुड़की की सहायता ले रहा है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जलशक्ति मंत्रालय ने राज्यों से जलाशयों में गाद इकट्ठा होने की समस्या को गंभीरता से लेने और इसे नियंत्रित करने के उपायों को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने के लिए कहा है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा आयोजित एक बैठक में केंद्र और राज्यों समेत कई एजेंसियों के प्रतिनिधियों के बीच इस पर सहमति बनी कि जलाशयों में गाद को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक उपायों के साथ तात्कालिक कदम उठाने की ज्यादा जरूरत है।

राष्ट्रीय नीति तय करने के संकेत 

जलाशयों में किस रफ्तार से गाद इकट्ठा हो रही है, इसका आकलन करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए केंद्र ने इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति तय करने के संकेत दिए हैं ताकि राज्यों के समक्ष एक कारगर और आदर्श प्रणाली रखी जा सके।

बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने भी जलाशयों की गाद निकालने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया विकसित करने की आवश्यकता बताई। नदियों और जलाशयों में गाद की समस्या से निपटने के लिए जलशक्ति मंत्रालय ने राज्यों से कामचलाऊ रवैया छोड़ने की अपेक्षा की है। अधिकारियों के अनुसार बैठक में राजस्थान और केरल ने अपने यहां जलाशयों से गाद निकालने के लिए अपनाए जा रहे राजस्व आधारित मॉडल प्रस्तुत किए, जिसे दूसरे राज्य भी अपना सकते हैं।

बैठक में एक मुद्दा गाद की समस्या से निपटने के लिए नई तकनीकों के प्रयोग का भी उठा। जलशक्ति मंत्रालय आइआइटी कानपुर और आइआइटी रुड़की की इसमें सहायता ले रहा है।

दोनों आइआइटी के विशेषज्ञों ने जलाशयों और नदियों की गहराई, आकृति, तल और धारा के सर्वेक्षण सहित गाद एकत्र होने की गति, मात्रा और जल स्त्रोतों की क्षमता के आकलन के लिए तकनीकी विकास का विवरण दिया।