पाकिस्तान में आज भी राज है बेनजीर भुट्टो की हत्या, दो बार बनी थीं प्रधानमंत्री
बेनजीर भुट्टो पहली महिला थीं जो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थी। उनकी हत्या आज भी रहस्य बनी हुई है।
By Vinay TiwariEdited By: Updated: Fri, 27 Dec 2019 04:08 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान में आए दिन आतंकी हरकतें होती रहती है। ये देश धर्म के मामले में काफी कट्टर माना जाता है। पहली बार इस देश की राजनीतिक कमान एक महिला बेनजीर भुट्टो ने संभाली थी। उनकी हत्या को अब लंबा समय हो चुका है मगर उसके बाद भी वहां की एजेंसियां ये तक नहीं पता कर पाईं कि आखिर उनकी हत्या के पीछे क्या कारण था। 27 दिसंबर को ही उनकी हत्या की गई थी। बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पहले प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थीं। जनरल जिया-उल-हक के जमाने में उनके पिता का सियासी सफर वक्त के पहले खत्म हो गया, जब उन्हें फांसी दे दी गई।
जीवन परिचय बेनजीर भुट्टो का जन्म 21 जून 1953 को हुआ था। उनकी मृत्यु 27 दिसम्बर 2007, रावलपिंडी में हुई थी। वो पाकिस्तान की 12 वीं (1988 में) व 16 वीं (1993 में) प्रधानमंत्री थीं। उनकी मृत्यु रावलपिंडी में एक राजनैतिक रैली के बाद आत्मघाती बम और गोलीबारी से दोहरा हमला कर की गई थी। वो पूरब की बेटी के नाम से जानी जाती थीं। वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की प्रतिनिधि तथा मुस्लिम धर्म की शिया शाखा की अनुयायी थीं। उनका जन्म पाकिस्तान के धनी जमींदार परिवार में हुआ था। वे पाकिस्तान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो, जो सिंध प्रांत के पाकिस्तानी थे तथा बेगम नुसरत भुट्टो, जो मूल रूप से ईरान और कुर्द देश से संबंधित पाकिस्तानी थीं, की पहली संतान थीं। 18 दिसम्बर 1987 में उनका विवाह आसिफ अली जरदारी के साथ हुआ। बेनजीर भुट्टो के तीन बच्चे हैं। पहला बेटा बिलावल और दो बेटियां बख़्तावर और और असीफा।
शिक्षा-दीक्षा उनकी प्रारंभिक शिक्षा कराची के लेडी जेनिंग नर्सरी स्कूल तथा कॉन्वेंट जीजस एंड मेरी में हुई। 15 वर्ष की आयु में उन्होंने कराची ग्रामर स्कूल से 'ओ' लेवल की परीक्षा उत्तीर्ण की। 16 साल की उम्र में वो अमरीका गईं, जहां 1969 से 1973 तक वे रैडक्लिफ़ कॉलेज में पढ़ाई की तथा उसके बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय से कला-स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में उन्होंने इंगलैंड के ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय से भी अंतर्राष्ट्रीय कानून, दर्शन और राजनीति विषय का अध्ययन किया। ऑक्सफोर्ड में अध्ययन के दौरान वे ऑक्सफोर्ड यूनियन की अध्यक्ष चुनी जाने वाली वे पहली एशियाई महिला थीं।
दो बार बनी प्रधानमंत्री 1988 में बेनजीर भारी मतों से चुनाव जीत कर आईं और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। दो साल बाद 1990 में उनकी सरकार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ग़ुलाम इशाक खान ने बर्खास्त कर दिया। 1993 में फिर आम चुनाव हुए और वे फिर विजयी हुईं। उन्हें 1996 में दोबारा भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया। पहली बार प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के समय बेनजीर लोकप्रियता के शिखर पर थीं।
उनकी ख्याति विश्व स्तर पर सर्वप्रमुख महिला नेता की थी। लेकिन दूसरी बार सत्ता से बेदखल किए जाने तक उनकी छवि पूरी तरह बदल चुकी थी। पाकिस्तान का एक बड़ा तबका उन्हें भ्रष्टाचार और कुशासन के प्रतीक के रूप में देखने लगा। अनेक विश्लेषकों के अनुसार बेनजीर के पतन में आसिफ जरदारी का हाथ रहा है, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद बेनजीर ने 1999 में पाकिस्तान छोड़ दिया और संयुक्त अरब अमीरात के नगर दुबई में आकर रहने लगीं। वे 18 अक्टूबर 2007 में पाकिस्तान लौटीं।
उसी दिन एक रैली के दौरान कराची में उन पर दो आत्मघाती हमले हुए जिसमें करीब 140 लोग मारे गए, लेकिन बेनजीर बच गईं थी। इसके कुछ ही दिन बाद 27 दिसम्बर 2007 को एक चुनाव रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या तब हुई, जब वे रैली खत्म होने के बाद बाहर जाते वक्त अपने कार की सनरूफ़ से बाहर देखते हुए समर्थकों को विदा दे रही थीं। उनकी मौत से पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
विवादित थी हत्या जिस तरह से बेनजीर की हत्या की गई, कुछ इसी तरह से एक सभा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भी हत्या की गई थी। यहां तरीका थोड़ा अलग था मगर ये दोनों नेता जनता के बीच गए थे जब इनको निशाना बनाया गया। राजीव गांधी को तो आत्मघाती बम से उड़ा दिया गया था जबकि बेनजीर भुट्टो की हत्या किसने की ये अभी तक राज ही है। सबसे पहले ये माना गया कि बम विस्फोट के कारण उनकी हत्या हुई।
बाद में पाकिस्तान सरकार का बयान आया कि बेनजीर की हत्या न तो किसी बंदूकधारी के द्वारा हुई और न ही विस्फोट की तीव्रता के कारण। बल्कि, पाकिस्तानी सरकारी बयानों के मुताबिक उनकी मृत्यु विस्फोट से बचने के लिए तेजी से सनरूफ़ (कार की खुल सकने वाली छत) से टकराने से हुई। इस बात पर उनकी पार्टी के समर्थकों के सरकारी बयान का घोर विरोध किया। उनका कहना था कि बेनजीर की हत्या छर्रे लगने से हुई थी।
इस हत्या की जिम्मेवारी अल कायदा के मुस्तफ़ा अबु अल याजिद ने ली है। इसका कारण बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान में अमेरिकी समर्थक जैसी छवि तथा उनके एक भ्रष्ट नेता होने को माना जाता है जो एक तरह से परवेज मुशर्रफ की समर्थक समझी जाती थीं और लोग मानते थे कि चुनाव के बाद वो मुशर्ऱफ का समर्थन करेंगीं।उस वक्त राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार ने इस हत्या के लिए पाकिस्तानी तालिबान के प्रमुख बैतुल्लाह महसूद को जिम्मेदार ठहराया हालांकि तालिबान ने इससे इनकार किया। बैतुल्लाह 2009 में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान में चरमपंथ के बिल्कुल खिलाफ थीं, उन्हें तालिबान, अल कायदा और स्थानीय जिहादियों की तरफ से धमकियां भी मिलती थीं लेकिन जांचकर्ताओं की छानबीन निचले स्तर के कारिंदों पर ही केंद्रित रही। उन्होंने इसकी योजना बनाने, इसके लिए पैसा मुहैया कराने या फिर इस पर अमल कराने वाले लोगों तक पहुंचने की दिशा में कम ही ध्यान दिया।
मौत के बाद आरोपों का दौर उनकी मौत के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन तालिबान ने इस आरोप को खारिज कर दिया। उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ पर भी आरोप लगा कि वह बेनजीर को मरवाना चाहते थे। 2013 में पाकिस्तान की एक अदालत में उनके खिलाफ हत्या के जुड़े आरोप तय हुए, लेकिन 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान से भाग गए। भु्ट्टो की मौत के बाद पाक में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार बनी। बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने। वह बेनजीर के हत्यारों को बेनकाब करने में नाकाम रहे। तब शक की सुई जरदारी की तरफ भी गई।