22वें विधि आयोग का कार्यकाल आज होगा खत्म, यूसीसी पर रिपोर्ट का काम अधूरा
पिछले कुछ महीनों से बिना अध्यक्ष के कार्य कर रहे 22वें विधि आयोग का कार्यकाल शनिवार को खत्म हो जाएगा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर इसकी रिपोर्ट का काम अभी अधूरा है। राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि पूरे देश में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है।
पीटीआई, नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों से बिना अध्यक्ष के कार्य कर रहे 22वें विधि आयोग का कार्यकाल शनिवार को खत्म हो जाएगा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर इसकी रिपोर्ट का काम अभी अधूरा है, लेकिन एक साथ चुनाव कराने पर रिपोर्ट तैयार है जिसे अध्यक्ष नहीं होने की वजह से सौंपा नहीं जा सका है।
इसके अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) ऋतु राज अवस्थी को कुछ महीनों पहले लोकपाल का सदस्य नियुक्त कर दिया गया था। समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग ने पिछले वर्ष नए सिरे से विचार-विमर्श प्रारंभ किया था।
समाज के विभिन्न वर्गों से सुझाव प्राप्त करने के बाद आयोग मसौदा रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में था, तभी जस्टिस अवस्थी को लोकपाल में सदस्य नियुक्त कर दिया गया था।
उत्तराखंड ने लागू किया यूसीसी
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि पूरे देश में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। इसी क्रम में उत्तराखंड ने हाल ही में अपनी समान नागरिक संहिता लागू की है।
जस्टिस (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान ने कही थी ये बात
केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता का मुद्दा 21वें विधि आयोग को संदर्भित किया था जो अगस्त, 2018 तक कार्यरत था। जस्टिस (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले इस आयोग ने 31 अगस्त, 2018 को जारी परामर्श पत्र में कहा था कि समान नागरिक संहिता की न तो जरूरत है और न ही इस चरण में वांछनीय है।इसके बाद काफी समय बीत जाने की वजह से 22वें विधि आयोग ने इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार-विमर्श प्रारंभ किया था। उल्लेखनीय है कि विधि आयोग का कार्यकाल सामान्य तौर पर तीन वर्ष का होता है, लेकिन केंद्रीय कैबिनेट ने फरवरी, 2023 में 22वें विधि आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया था।