सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ऑनलाइन, वॉर रूम से होगी निगरानी; सीजेआई चंद्रचूड़ ने दिया हाई-टेक विदाई तोहफा
भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं लेकिन वह जाते जाते देश को सुप्रीम कोर्ट के डिजिटलीकरण का एक नायाब तोहफा दे जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में एक वॉर रूम बनाया गया है जो सीजेआई चंद्रचूड़ की सोच है। वॉर रूम के जरिए मामले में जल्दी सुनवाई के लिए सीधे चीफ जस्टिस को ईमेल भेजने की कोई समय सीमा नहीं है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं लेकिन वह जाते जाते देश को सुप्रीम कोर्ट के डिजिटलीकरण का एक नायाब तोहफा दे जाएंगे। अब सुप्रीम कोर्ट राउंड द क्लॉक चलता है। मुकदमों की सुनवाई छोड़ कर बाकी सारे काम जैसे केस दाखिल होना, कोर्ट फीस, फाइन जमा करना या फिर मामले में जल्दी सुनवाई के लिए सीधे चीफ जस्टिस को ईमेल भेजने की कोई समय सीमा नहीं है।
यहां तक कि तारीख पर अदालत में पहुंच कर सुनवाई में हिस्सा लेना भी जरूरी नहीं है, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन सुनवाई में हिस्सा लिया जा सकता है। इन सुविधाओं ने सुप्रीम कोर्ट का न्याय जनता के द्वार पहुंचा दिया है। सुप्रीम कोर्ट पेपरलेस हो गया है सबकुछ ऑनलाइन है। सुप्रीम कोर्ट सहित देश की सभी अदालतों के डिजिटलीकरण का प्रोजेक्ट वैसे तो काफी दिनों से चल रहा है।
देश भर की अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई जारी
इसका पहला और दूसरा चरण पूरा हो चुका है और तीसरा चरण 2023 से शुरू हुआ है जिसके लिए भारत सरकार ने एक अगस्त को चार साल के लिए 7210 करोड़ का बजट मंजूर किया है। डिजिटलीकरण का ज्यादा श्रेय चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को इसलिए जाता है क्योंकि इनके कार्यकाल में भी डिजिटलीकरण ने रफ्तार पकड़ी। कोरोना काल में न्याय का रथ चालू रखने के लिए देश भर की अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शुरू हुई सुनवाई की व्यवस्था को रुकने नहीं दिया।कोरोना के बाद जब ज्यादातर उच्च न्यायालयों और ट्रिब्युनलों ने आनलाइन सुनवाई रोक दी थी और पुराने ढर्रे पर लौट गए थे तब चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने आनलाइन सुनवाई का भी विकल्प चालू रखने के लिए आदेश दिए थे। हालांकि अभी भी कुछ जगह ढिलाई है। सुप्रीम कोर्ट में आनलाइन व्यवस्था को व्यवधान प्रूफ बनाने के लिए काफी काम हुआ है। यहां एक बड़ा वार रूम है जहां से न सिर्फ अदालतों में चल रही सुनवाई की निगरानी होती है बल्कि परिसर में आने वाले एक एक आगंतुक की मानीटरिंग होती है।
सुप्रीम कोर्ट में रोजाना 17 अदालतें बैठती हैं
सुप्रीम कोर्ट में रोजना 17 अदालतें बैठती हैं जिनमें रोज करीब 1100 केस लिस्ट होते हैं। इन सबकी मानीटरिंग इसी वार रूम में बैठी टीम करती है। सुप्रीम कोर्ट में आनलाइन सिस्टम और आइटी को हेड करने वाले अधिकारी बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ा कोन्टेंट क्रिएटर है। दुनिया के सुप्रीम कोर्टों में भारत का सुप्रीम कोर्ट सबसे ज्यादा मुकदमों का प्रबंधन और सुनवाई करता है।कोर्ट को राउंड द क्लॉक बना दिया
सुप्रीम कोर्ट के डिजिटलीकरण से आमजनता को हुई सुविधा पर वकील विष्णु शंकर जैन बताते हैं कि जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल में ही मुकदमों की ऑनलाइन फाइलिंग शुरू हुई जिसने कोर्ट को राउंड द क्लॉक बना दिया है। नया केस तीन दिन में सुनवाई पर लग जाता है। केस सुनवाई पर लगने की जानकारी एसएमएस और मेल के जरिए कोर्ट भेजता है। फैसला आने और फैसला वेबसाइट पर अपलोड होने की जानकारी भी वाट्सअप और एसएमएस पर दी जाती है।