महिलाओं की सहूलियत को हर थाने में हो ऐसा 'संवेदना केंद्र'
प्रसाधन कक्ष, सेनेटरी पैड, महिला स्टाफ, काउंसलर, डॉक्टर और वकील की सुविधा, ताकि थाने में महिला फरियादियों और महिला पुलिसकर्मियों को न हो कोई असुविधा
बिलासपुर [सुरेश पांडेय]। यह भारत में अपने तरह की प्रेरक पहल है। देशभर के पुलिस थानों में महिला फरियादियों, यहां तक कि थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मियों के लिए भी जरूरी सुविधाओं का अभाव है। बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के एसपी ने इस कमी को दूर करने की बेहतर पहल की है। बिलासपुर के थानों में संवेदना केंद्रों की स्थापना की गई है। थाने पर पहुंचने वाली महिला शिकायतकर्ताओं के लिए अब सुविधायुक्त प्रसाधन कक्ष, जिनमें सेनेटरी नेपकिन की उपलब्धता, विशेष स्वागत- सहयोग कक्ष, महिला स्टाफ, विधि सलाह और चिकित्सा आदि सहूलियतें मुहैया कराई गई हैं।
जिले के कुछ थानों में संवेदना केंद्रों ने काम करना शुरू कर दिया है। इस तरह के संवेदना केंद्रों की दरकार देश के हर थाने में है। कम्युनिटी पुलिसिंग पर अमेरिका के वर्जीनिया में दिए गए अपने प्रजेंटेशन पर बिलासपुर के युवा एसपी आरिफ शेख को इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ्स ऑफ पुलिस (आइएसीपी) अवार्ड मिल चुका है। इसे आइपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अफसरों के लिए ऑस्कर अवार्ड की तरह ही माना जाता है। आरिफ ने बिलासपुर में भी अपनी सोच को अमली जामा पहनाया है।
आरिफ ने बताया कि उनके इस सुझाव को अमेरिका में भी सराहा गया और वहां इसे अमल में लाने पर विचार किया जा रहा है। बिलासपुर शहर के तोरवा थाने में आरिफ ने देश का पहला संवेदना केंद्र स्थापित कराया, जिसके बाद जिले के सीपत, रतनपुर व कोटा थाने में भी केंद्र स्थापित किए गए। इनके जरिये महिला पुलिसकर्मियों को भी काफी सहूलियत हो रही है।
सेनेटरी पैड के लिए वैंडिंग मशीन
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के थानों में बने इन सर्वसुविधायुक्त संवेदना केंद्र में सेनेटरी पैड के लिए वैंडिंग मशीन भी लगाई गई हैं। पीड़ित महिलाओं के साथ ही थाने में तैनात महिला कर्मी भी मशीन में पांच रुपये का सिक्का डालकर पैड हासिल कर सकती हैं।
अब थानों में नहीं होगी परेशानी
एसपी आरिफ शेख का मानना है कि थानों में महिलाओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है, जिसके कारण उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, जिला स्तर पर महिला सेल व महिला थाने में उनके लिए व्यवस्था की जाती है, लेकिन शहर के साथ ही दूरदराज की महिलाओं को लंबी दूरी तय करने के साथ ही थानों का चक्कर लगाना पड़ता है। हर थाने में संवेदना केंद्र बनाए जाने से इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
थानों में महिलाओं के लिए विशेष कक्ष की यह अवधारणा न केवल महिलाओं को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने बल्कि पुलिसिंग को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने की ओर एक कदम है। देश का पहला संवेदना केंद्र बिलासपुर के तोरवा थाने में खोला गया था, अब यहां हर थाने में इसे बनाने को लेकर प्रयास हो रहा है।
- आरिफ शेख, एसपी, बिलासपुर,
छत्तीसगढ़