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पाक के एफएटीएफ की निगरानी सूची में बने रहने के आसार, आतंकी हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ नहीं उठाया कदम

विदेशी कंपनियां पाकिस्तान में निवेश करने से हिचक रही हैं क्योंकि उन्हें डर है कि यह भविष्य में एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची में शामिल हो सकता है। एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची में शामिल होने का मतलब है कि विदेशी कंपनियों के लिए वहां आयात-निर्यात करने में परेशानी होगी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 21 Feb 2022 08:59 PM (IST)
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पेरिस में सोमवार से शुरू हुई है एफएटीएफ की बैठक
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरारष्ट्रीय स्तर पर आतंकी फंडिंग रोकने व इसकी निगरानी के लिए स्थापित एजेंसी फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) से पाकिस्तान के बने रहने के पूरे आसार हैं। एफएटीएफ की बैठक पेरिस में सोमवार से शुरू हुई है और 4 मार्च को इसकी तरफ से पाकिस्तान व दूसरे देशों के बारे में फैसला सुनाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि पिछली बार की बैठक में एफएटीएफफ ने पाकिस्तान सरकार को हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे कुख्यात आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था लेकिन विगत छह महीनों में इमरान खान की सरकार की तरफ से इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन पूर्व में पाक ने एफएटीएफ की तरफ से दिये गये 27 निर्देशों में से 26 निर्देशों का पालन किया है ऐसे में उसे प्रतिबंधित सूची (ब्लैक लिस्ट) में लाये जाने की संभावना कम है।

पाकिस्तान जून, 2018 के बाद से ही एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है। इस बार भी उसके ग्रे लिस्ट में बने रहने के बाद वह लगातार चार वर्षों तक इस सूची में रहने वाला पहला देश बन जाएगा। लगातार निगरानी सूची में बने रहना भी पाकिस्तान की इकोनोमी पर भारी दबाव का कारण बना हुआ है।

विदेशी कंपनियां पाकिस्तान में निवेश करने से हिचक रही हैं क्योंकि उन्हें डर है कि यह भविष्य में एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची में शामिल हो सकता है। एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची में शामिल होने का मतलब है कि विदेशी कंपनियों के लिए वहां आयात-निर्यात करने में परेशानी होगी। जोखिम बढ़ने की वजह से पाकिस्तान में कारोबार से जुड़े बीमा की लागत भी बढ़ जाएगी।

आतंकी फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान की तरफ से व्यवस्था में की गई गड़बड़ी

पिछले चार वर्षों में हर छह महीने पर पाकिस्तान को चेतावनी दिए जाने के बावजूद वहां की सरकार आतंकवादी संगठनों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जगत के हिसाब से कदम नहीं उठा सका है। पिछले साल एफएटीएफ ने साफ तौर पर कहा था कि, आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान ने अपने कानून को दुरुस्त किया है लेकिन संयुक्त राष्ट्र की तरफ से नामित आतंकी संगठनों के सीनियर कमांडरों के खिलाफ कार्रवाई करने में वह असफल रहा है। साथ ही मनी लांड्रिंग व आतंकी फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान की तरफ से की गई व्यवस्था में भी भारी गड़बड़ी पाई थी। तब पाकिस्तान सरकार को अक्टूबर, 2021 तक आतंकी संगठनों के सरगरनाओं के खिलाफ ठोस व निर्णायक कार्रवाइ करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन पाकिस्तान सरकार की तरफ से इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया जा सका है।