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गांबिया में बच्चों की मौत मामले में कफ सिरप में कोई कमी नहीं, मेडेन फार्मा को सरकार ने दी क्लीन चिट

केंद्र सरकार ने मेडेन फार्मास्यूटिकल्स को क्लीन चिट देते हुए कहा कि इस कंपनी के कफ सिरप में कोई कमी नहीं है। सरकार ने संसद को बताया है कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के कफ सिरप के सैंपल मानक के अनुरूप पाए गए हैं।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 15 Dec 2022 11:14 PM (IST)
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गांबिया में बच्चों की मौत मामले में कफ सिरप में कोई कमी नहीं। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने मेडेन फार्मास्यूटिकल्स को क्लीन चिट देते हुए कहा कि इस कंपनी के कफ सिरप में कोई कमी नहीं है। सरकार ने संसद को बताया है कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के कफ सिरप के सैंपल मानक के अनुरूप पाए गए हैं। कई हफ्ते पहले डब्ल्यूएचओ ने इस कंपनी के कफ सिरप के कारण गांबिया में बच्चों की मौत की आशंका जताई थी। भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को भी बता दिया है कि मेडन कंपनी के सैंपल में कोई कमी नहीं है।

जांच में सही पाए गए कफ सिरप के सैंपल

भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल वीजी सोमानी ने डब्ल्यूएचओ को लिखे पत्र में कहा कि कफ सिरप के सैंपल जांच में सही पाए गए हैं। डब्ल्यूएचओ ने जल्दबाजी में गांबिया में बच्चों की मौत को भारत के कफ सिरप से जोड़ दिया। इससे भारत की दवाओं के बारे में नकारात्मक छवि बनी। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रक हरियाणा के सहयोग से कुंडली सोनीपत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की एक संयुक्त जांच की थी ताकि उन तथ्यों का पता लगाया जा सके जिनके कारण पश्चिम अफ्रीकी देश में 66 बच्चों की मौत हुई थी।

सिर्फ निर्यात के लिए दिया गया था लाइसेंस

रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने 13 दिसंबर को राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा कि जांच के दौरान यह पता चला कि हरियाणा के स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने कंपनी को चार दवाओं के निर्माण का लाइसेंस केवल निर्यात के लिए दिया था। इन दवाओं में प्रोमेथेजिन ओरल साल्यूशन बीपी, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैकोफ बेबी कफ सिरप और माग्रिप एन कोल्ड सिरप शामिल हैं। इन दवाओं को भारत में बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है और यहां इनका विपणन या वितरण नहीं किया जाता है। इसके अलावा, उपरोक्त दवाओं के सैंपल लिए गए। जांच दल द्वारा परीक्षण और विश्लेषण के लिए क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, (आरडीटीएल) चंडीगढ़ भेजे गए।

कंपनी की सभी निर्माण गतिविधियों को कर दिया गया था बंद

सरकारी विश्लेषक की रिपोर्ट के अनुसार, नमूनों को मानक के रूप में घोषित किया गया है। डायथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकाल (ईजी) के सैंपल भी नेगेटिव पाए गए। इससे पहले अक्टूबर में हरियाणा राज्य औषधि नियंत्रक ने सोनीपत में मेडेन फार्मास्युटिकल्स की सभी निर्माण गतिविधियों को बंद कर दिया था, जब डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी जारी की थी कि कंपनी की खांसी की दवाई संभावित रूप से गांबिया में बच्चों की मौत से जुड़ी हो सकती है।

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