Gujarat Election: पिछड़ने के बाद भी गुजरात में कांग्रेस का वर्षों बाद सबसे दमदार प्रदर्शन
गुजरात में बीते कई वर्षों के बाद कांग्रेस से यह सबसे बेहतर प्रदर्शन है। इसको यूं भी कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने का असर यहां पर कुछ जरूर दिखाई दिया है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही कांग्रेस को यहां सत्ता की चाबी देने में कामयाब न रहे हों लेकिन यह भी सच है कि गुजरात में बीते कई वर्षों के बाद कांग्रेस से यह सबसे बेहतर प्रदर्शन है। इसको यूं भी कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने का असर यहां पर कुछ जरूर दिखाई दिया है। इसके अलावा कांग्रेस की रणनीति और उसके उठाए मुद्दों ने भी यहां पर कुछ तो रंग जरूर दिखाया ही है। इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि राहुल की राजनीति को इस चुनाव से एक धार मिली है।
कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा
कांग्रेस अपने दम पर इस बार पीएम मोदी के गृहराज्य में उसको 99 पर समेटने में कामयाब रही है। वहीं उसके अपने खाते में 77 सीटें आई हैं और छह अन्य के खाते में गई हैं। वोट प्रतिशत की बात करें तो भी 2012 में हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2012 में कांग्रेस को जहां 38.9 फीसद वोट मिले थे वहीं इस बार 41.4 फीसद वोटिंग उसके पक्ष में हुई है। इसके अलावा भाजपा के पक्ष में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 47.9 फीसद वोटिंग हुई इस बार यह 49.1 फीसद हुई।
कांग्रेस के मुद्दे
कांग्रेस ने इस बार में गुजरात में नौकरी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। इसके अलावा पाटीदारों को आरक्षण भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना। इसके अलावा मोदी सरकार के राज में लगा जीएसटी भी कांग्रेस के लिए काफी बड़ा मुद्दा था। कांग्रेस के मुताबिक जीएसटी से यहां के उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ा है और इसको लेकर यहां के उद्योपतियों में काफी रोष है।
पार्टी को संजीवनी
राहुल गांधी के पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद गुजरात चुनाव को उनकी उपलब्धि के तौर पर लिया जा सकता है। भले ही गुजरात में कांग्रेस सरकार बनाने से पीछे रह जाए लेकिन इस बार उसका प्रदर्शन पहले के मुकाबले में काफी बेहतर होता दिखाई दे रहा है। आपको यहां पर बता दें कि पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 60 सीटें भी नहीं पा सकी है। ऐसे में यदि यह रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो यह कांग्रेस के लिए फायदेमंद ही होगा। इसको लेकर कांग्रेस आने वाले आम चुनाव में भी अपना बेहतर प्रदर्शन दिखा सकेगी। यदि यह रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो इसको पार्टी के लिए संजीवनी भी माना जा सकता है।
बीते चुनाव पर नजर
हम आपको बता दें कि 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 116 सीटें हासिल की थीं वहीं कांग्रेस 61 पर काबिज थी। वहीं 2007 के विधानसभा चुनाव में भी कोई खास फर्क दिखाई नहीं दिया था। इस दौरान भाजपा को जहां 117 सीटें मिली थीं वहीं 59 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। इसके अलावा 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 127 और कांग्रेस को 57 सीटें मिली थीं। 1998 में भी भाजपा ने यहां पर जीत दर्ज करते हुए 117 सीटें पाई थीं जबकि कांग्रेस 53 पर सिमट गई थी। साल 2012 के चुनावों में भाजपा को 39 फीससी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 9 फीसदी। यानी कांग्रेस बीजेपी से महज 9 फीसदी वोटों से पीछे थी।
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