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गांव जैसा नहीं यह गांव; 100 फीसद शिक्षा, फर्राटेदार अंग्रेजी और खुशहाली है पहचान

यह गांव चारों ओर से जंगल से घिरा है, लेकिन यहां के लोगों को अनपढ़ और दकियानूसी प्रथाओं से जूझने वाला गांव समझने की गलती न करें। जंगलों से घिरा हुआ यह पूरा गांव साक्षर है।

By Digpal SinghEdited By: Updated: Tue, 20 Mar 2018 02:00 PM (IST)
गांव जैसा नहीं यह गांव; 100 फीसद शिक्षा, फर्राटेदार अंग्रेजी और खुशहाली है पहचान

चतरा, [जुलकर नैन]। झारखंड के चतरा जिले में है सिमरिया प्रखंड। यह कहानी इसी सिमरिया प्रखंड के एक गांव हडियो की है। यह गांव चारों ओर से जंगल से घिरा है, लेकिन यहां के लोगों को अनपढ़ और दकियानूसी प्रथाओं से जूझने वाला गांव समझने की गलती न करें। जंगलों से घिरा हुआ यह पूरा गांव साक्षर है। पूरा गांव खुशहाल है। गांव के ज्यादातर बच्चे बड़े शहरों के कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं।

ईमानदारी की मिसाल है यह गांव
चार सौ की आबादी वाले इस गांव की पच्चीस प्रतिशत महिलाएं एवं पुरुष सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थानों में नौकरी करते हैं। शेष ने खेती को अर्थोपार्जन का जरिया बना रखा है। बड़ी खूबी यह है कि गांव के लोग खुद ईमानदार हैं और दूसरों पर भी इसी अंदाज में भरोसा करते हैं। यही कारण है कि गांव के किसी भी घर में ताला नहीं लगता है। खेती और बागवानी में दिलचस्पी ऐसी कि दूसरे गांव के लोग उनकी मिसाल पेश करते हैं।

प्रकृति और स्वच्छता प्रेमी है गांव
हडियो गांव जंगलों से घिरा है और यहां के लोग भी प्रकृति प्रेमी हैं। गांव में जंगली पशु पक्षी स्वच्छंद विचरण करते हैं। अधिकांश घर मिट्टी के बने हैं। लोग स्वभाव से स्वच्छता पसंद हैं। वे अपने घरों को स्वच्छ और सजा संवारकर रखते हैं। उन्नत खेती गांव की पहचान है। खेती के लिए गांव में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था है। जिले का संभवत: यह पहला गांव है, जहां तीनों मौसम में खेती होती है। लोग धान, गेहूं, मक्का, अरहर, टमाटर आदि की खेती करते हैं। सिंचाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। नदी, आहर, तालाब एवं कुएं के पानी से सिंचाई करते हैं।

बकरी चराने वाला भी बोलता है फर्राटेदार अंग्रेजी
गांव की पूरी आबादी सरना एवं ईसाई धर्म को मानती है। आपस में बेहतर समन्वय है। कभी कोई विवाद नहीं। गांव की पूरी आबादी शिक्षित है। शिक्षा का अंदाज इससे लगा भी सकते हैं कि बकरी चराने वाला भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है। वैसे आमतौर पर गांव में बुजुर्ग ही ज्यादा हैं। साठ से अधिक उम्र के। शेष लोग निकटवर्ती शहर हजारीबाग या रांची आदि में रहते हैं। वहीं अपने बच्चों को बेहतर स्कूलों में पढ़ाते हैं। छुट्टियों में गांव लौटते हैं। गांव आकर वह आरामतलबी के बदले कृषि कार्य में जुट जाते हैं। खेती से लेकर मवेशी चराने तक का काम करते हैं।

खुद का काम करने में कैसा संकोच
इलोस लकड़ा कहते है कि खुद का काम करने में संकोच कैसा। इलियस लकड़ा मुखिया जुलियाना तिर्की के पति हैं। कृषि कार्य में दक्ष हैं। उनका अपना एक बड़ा सा बागीचा है। गांव के ही सोहराय तिर्की कहते हैं कि कृषि और शिक्षा गांव की पहचान है।

हडियो कर रहा पंचायत का नेतृत्व
हडियो गांव सिमरिया प्रखंड की चोपे पंचायत के अंतर्गत आता है। चोपे पंचायत का नेतृत्व हडियो गांव कर रहा है। पंचायत की मुखिया जुलियाना टोप्पो और पंचायत समिति सदस्य फिल्मन बाखला हैं। दोनों इसी गांव के रहने वाले हैं।

क्या कहती हैं मुखिया
चोपे पंयाचत की मुखिया जुलियाना टोप्पो कहती हैं, यह गर्व की बात है कि एक ही गांव के लोग पंचायत का नेतृत्व कर रहे हैं। गांव के लोग ईमानदार और निष्ठावान हैं। गांव के लोग जब खेतों में काम करने के लिए जाते हैं, तो ताला नहीं लगाते। यह ईमानदारी का परिचायक है।

क्या कहते समिति सदस्य
चोपे के पंचायत समिति सदस्य फिल्मन बाखला कहते हैं- हडियो पूर्ण साक्षर गांव है। आबादी के पच्चीस से तीस फीसद लोग सरकारी एवं गैर सरकारी नौकरी में हैं। कृषि और बागवानी के प्रति काफी लगाव है। अस्सी फीसद लोग खेती के साथ बागवानी करते हैं। किसी के पास पांच, तो किसी के पास दस एकड़ जमीन है।