तीन करोड़ महिलाएं बनेंगी लखपति दीदी, चुनावी बल भी देगी मातृशक्ति; महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए PM मोदी ने बढ़ाया कदम
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले गहरे होते जातियों के जंजाल को भेदते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब युवा किसान और महिलाओं को अपनी प्राथमिकता वाली चार जातियां बताकर बड़ा दांव चल दिया है। सरकार की योजनाएं कार्यक्रम और प्रयास इनके इर्दगिर्द सटते दिखाई भी दे रहे हैं। इनमें ही सबसे प्रमुख वर्गों में महिलाएं शामिल हैं जिनके प्रति अंतरिम बजट में भी सरकार ने भरपूर चिंता जाहिर की है।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। बजट चुनावी नहीं है और प्रत्यक्ष लक्ष्य भी आगामी लोकसभा चुनाव नहीं दिखता, लेकिन मोदी सरकार के निर्णय इस संभावना को जरूरत मजबूत करते नजर आते हैं कि मातृशक्ति उसे ''''रिटर्न गिफ्ट'''' में चुनावी बल देने में संकोच नहीं करेगी।
तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने सहित आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाते हुए उसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर को शामिल करने जैसी घोषणाएं सीधे तौर पर उन 49 प्रतिशत महिला मतदाताओं को सकारात्मक संदेश देती हैं, जो कि 2024 के आम चुनाव में ''भाग्य विधाता'' साबित हो सकती हैं।
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले गहरे होते जातियों के जंजाल को भेदते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब, युवा, किसान और महिलाओं को अपनी प्राथमिकता वाली चार जातियां बताकर बड़ा दांव चल दिया है। सरकार की योजनाएं, कार्यक्रम और प्रयास इनके इर्दगिर्द सटते दिखाई भी दे रहे हैं। इनमें ही सबसे प्रमुख वर्गों में महिलाएं शामिल हैं, जिनके प्रति अंतरिम बजट में भी सरकार ने भरपूर चिंता जाहिर की है।
आत्मनिर्भर व सक्षम बनाने के चल रहे हैं सतत प्रयास
दरअसल, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्वयंसहायता समूहों का विस्तार करते हुए उनसे महिलाओं को जोड़कर आत्मनिर्भर व सक्षम बनाने के सतत प्रयास चल रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने यानी कि स्वयंसहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की वार्षिक आय कम से कम एक लाख रुपये पहुंचाने की दिशा में काम शुरू किया। जब यह संख्या एक करोड़ के करीब पहुंचने वाली थी, इसी बीच 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा कर दी कि दो करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जाए।
तीन करोड़ महिलाओं को बनाया जाएगा लखपति दीदी
इसी कार्यक्रम से नमो ड्रोन दीदी कार्यक्रम भी जोड़ा गया। यह कार्यक्रम चल ही रहा था कि सरकार ने अंतरिम बजट में इस लक्ष्य को दो करोड़ से बढ़ाते हुए घोषणा कर दी है कि तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जाएगा। सरकार की ओर से दावा किया गया है कि नौ करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख स्वयंसहायता समूह (एसएचजी) सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर बनने के साथ ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिवेश में बदलाव ला रहे हैं।
इनकी सफलता से पहले ही करीब एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने में मदद मिल चुकी है। वे दूसरों के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्हें सम्मान देकर उनकी उपलब्धियों को मान्यता दी जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने घोषणा की है कि आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाते हुए सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन में लाई जाएगी तेजी
वहीं, मातृ एवं शिशु देखरेख की विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में तालमेल के लिए इन्हें एक व्यापक कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा। सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण-2.0 के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी लाई जाएगी। इस निर्णयों से सरकार ने महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण के साथ ही उनके स्वास्थ्य के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है।
2024 में 49 प्रतिशत की भागीदारी महिला मतदाताओं की होगी
माना जा रहा है कि सरकार के इन निर्णयों को उस चुनावी पैटर्न से भी जोड़कर देखा जा सकता है, जिसमें महिलाओं ने भाजपा को विभिन्न चुनावों में बढ़-चढ़कर समर्थन किया है। महिलाओं के लिए मोदी सरकार द्वारा लिए गए अनेक ऐतिहासिक निर्णय उसकी वजह बने हैं। भाजपा भी इस वर्ग को लेकर अधिक चिंतित और आशान्वित इसलिए भी है, क्योंकि एसबीआइ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में देश के कुल मतदाताओं में 49 प्रतिशत की भागीदारी महिला मतदाताओं की होगी।
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