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Revised Criminal Law Bills: आपराधिक न्याय प्रणाली के भारतीय युग का आगाज, नए क्रिमिनल लॉ बिल पर सदन की मुहर

औपनिवेशिक आपराधिक न्याय प्रणाली की जगह भारतीय न्याय प्रणाली के नए युग का आगाज करने वाले तीन विधेयकों पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीनों विधेयक पारित हो गए। विधेयकों पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश अब में ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए कानूनों की जगह भारतीयों द्वारा भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून का शासन होगा।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Thu, 21 Dec 2023 11:12 PM (IST)
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भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता पर सदन की मुहर। (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। औपनिवेशिक आपराधिक न्याय प्रणाली की जगह भारतीय न्याय प्रणाली के नए युग का आगाज करने वाले तीन विधेयकों पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीनों विधेयक पारित हो गए।

भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून का शासन होगाः शाह

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से जुड़े विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश अब में ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए कानूनों की जगह भारतीयों द्वारा, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून का शासन होगा।

तीनों विधेयकों के कानून बनने के बाद देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में होने वाले आमूलचूल परिवर्तन का ब्योरा देते हुए अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों में देश की मिट्टी की सुगंध भी है और इनका आत्मा पूरी तरह से भारतीय है।

उनके अनुसार इन कानूनों को बनाते समय जहां एक ओर भारत में हजारों वर्षों के न्याय दर्शन को ध्यान में रखा गया है, वहीं डिजिटल और फोरेंसिक को स्थान देकर इन्हें वैज्ञानिक और अत्याधुनिक बनाने का भी प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने से भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली दो सदियों की छलांग लगाकर 19वीं सदी से सीधे 21वीं सदी में प्रवेश करेगी।

कानूनों का आत्मा भी भारतीय है, शरीर भी भारतीयः शाह

उनके अनुसार इन कानूनों का आत्मा भी भारतीय है, शरीर भी भारतीय है और सोच भी भारतीय है। विपक्षी सांसदों की गैरमौजदूगी में अमित शाह ने राज्यसभा में औपनिवेशिक कानूनों को नहीं बदलने और जनता के खिलाफ उनका इस्तेमाल जारी रखने के लिए कांग्रेस पर जमकर हमला किया।

उन्होंने कहा कि जिस राजद्रोह के कानून के तहत महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक और वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को जेल जाना पड़ा, कांग्रेस ने आजादी के बाद उसे कभी बदलने की कोशिश ही नहीं की। इसके बजाय आपातकाल के दौरान इसका जमकर इस्तेमाल किया।

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राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में रहते हुए राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती रही और विपक्ष में बैठने पर इसका विरोध करती रही। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म करने का काम किया। इसकी जगह देशद्रोह कानून लाने को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति और देश के बीच अंतर होता है।

उन्होंने साफ किया कि देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और आर्थिक हितों को नुकसान वालों को कठोर सजा मिलनी ही चाहिए। अमित शाह ने नए कानूनों के विरोध पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह भाजपा के संकल्प के अनुरूप है। उनके अनुसार कांग्रेस चुनावी घोषणापत्र जारी कर उसे भूल जाती है, लेकिन भाजपा का इतिहास है कि प्रधानमंत्री मोदी जो बोलते हैं, वह करते हैं। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कर, अनुच्छेद 370 को समाप्त कर और महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर हमने अपने संकल्प पत्र में किए वादे को पूरा किया। दंड की जगह न्याय पर आधारित कानूनों को लाना भी इसी का हिस्सा है।

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शाह ने स्वराज का बताया मतलब

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को स्वराज का असली मतलब नहीं पता है। स्वराज सिर्फ स्व का शासन नहीं है। बल्कि इसमें स्व शासन के साथ-साथ स्व धर्म, स्व भाषा और स्व संस्कृति को बढ़ाना भी शामिल है। शाह ने कांग्रेस पर भाजपा के खिलाफ मॉब लिंचिंग का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पहली बार इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने और दोषियों को 10 साल की सजा का प्रविधान किया है।

शाह ने दावा किया कि आजादी के बाद मॉब लिंचिंग की सबसे कम घटनाएं मोदी सरकार के दौरान हुई है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिये पीडि़तों को तीन साल के भीतर न्याय मिलने का रास्ता प्रशस्त हो सकेगा।