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सरासर झूठ बोल रहे हैं हिमंत सरमा, असम सीएम के 40 फीसदी मुसलमान के आंकड़े पर भड़कीं TMC सांसद सुष्मिता देव

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि जनसांख्यिकी में बदलाव मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। असम में आज मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है। हमने कई जिले खो दिए हैं। यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। मेरे लिए यह जीने और मरने का सवाल है। घुसपैठिए पहले असम और पश्चिम बंगाल में घुसते हैं और फिर झारखंड बिहार और छत्तीसगढ़ चले जाते हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Thu, 18 Jul 2024 10:10 AM (IST)
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मुस्लिम आबादी 14 नहीं बल्कि 25 फीसदी थी- सुष्मिता देव (फाइल फोटो)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने बुधवार को राज्य में बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर गहरी चिंता जताई थी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि असम में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है, जो अब बढ़कर तकरीबन 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि असम में तेजी से बदलता जनसांख्यिकीय परिवर्तन हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए अस्तित्व का मुद्दा है। सीएम ने कहा, "साल 1951 में असम में मुसलमानों की आबादी सिर्फ 14 फीसदी थी। आज उनकी आबादी लगभग 40 फीसदी हो गई है।" अब मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के बयान पर सियासत गरमा गई है।

मुस्लिम आबादी 14 नहीं बल्कि 25 फीसदी थी

तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के दावे को खारिज कर दिया है। पार्टी की राज्यसभा सासंद सुष्मिता ने कहा कि साल 1951 में असम की मुस्लिम आबादी 14 नहीं बल्कि 25 फीसदी थी।

40 फीसदी का आंकड़ा कहां से आया?

सुष्मिता देव ने कहा कि सीएम हिमंत सरमा कह रहे हैं कि 1951 में असम में 14 फीसदी मुसलमान थे जो आज 40 फीसदी हो गए हैं, लेकिन सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1951 में असम में 25 फीसदी मुसलमान थे। मैं मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहती हूं कि 2021 में जनगणना होनी थी जो आज तक नहीं की गई है। 40 फीसदी का आंकड़ा कहां से आया?

बंटवारे के बाद बहुत से लोग असम में रह गए

सांसद सुष्मिता देव ने कहा, "मैं कहना चाहती हूं कि उनके तथ्य सरासर झूठ हैं। पहली बात यह है कि 1951 में 14 फीसदी मुसलमान थे जबकि सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि तब वहां 25 फीसदी मुसलमान थे। असम एक बॉर्डर राज्य है। बांग्लादेश से हमारी सीमा जुड़ी है और बंटवारे के बाद बहुत से लोग यहां रह गए और बहुत से लोग बांग्लादेश से यहां आए।"

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