वायनाड को बचाने के लिए भारतीय सेना ने कर दिया कमाल, रातभर में बना डाला 120 फीट लंबा पुल
वायनाड में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण राहत कार्यों में आ रही दिक्कतों को देखते हुए भारतीय सेना ने एक बड़ा कदम उठाया। मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप (एमईजी) की टीम ने चूरलमाला और मुंडक्कै को जोड़ने वाले 190 फीट लंबे बेली पुल का निर्माण पूरा कर लिया है। यह पुल 24 टन वजनी वाहनों को सहन कर सकता है जिससे राहत सामग्री और बचाव दल को पहुंचाने में मदद मिलेगी।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियरिंग समूह ने केरल भूस्खलन से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र को जोड़ने के लिए 190 फीट लंबे बेली ब्रिज का निर्माण किया है। मेटल से बने इस पुल का निर्माण रेकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। कहा जा रहा है कि सेना ने इस पुल को रातभर में बना डाला।
रेकॉर्ड समय में बना डाला 190 फीट लंबा पुल
भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक केरल राज्य में भारी बारिश के कारण मंगलवार को तड़के वायनाड में भूस्खलन हुआ था। स्थानीय नदी में बढ़ते पानी के कारण बुधवार को एक अस्थायी पुल बह गया। पुल बह जाने के बाद सेना के इंजीनियरों ने निकटतम शहर चूरलमाला से प्रभावित क्षेत्र मुंडक्कई तक भारी उपकरण ले जाने के लिए 190 फुट (58 मीटर) का पुल बनाने के लिए दौड़ लगाई। लगातार तेजी से मेहनत करके रातभर में पुल बना डाला।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि पुल बनाने का काम बुधवार रात 9 बजे शुरू हुआ और गुरुवार शाम 5:30 बजे पूरा हुआ। अन्य बचाव टीमों के समन्वय में सेना की टुकड़ियां अट्टामाला, मुंदक्कई और चूरलमाला में बचाव कार्य कर रही हैं।
24 टन भार वहन करने की है क्षमता
कर्नाटक और केरल उप-क्षेत्र के जीओसी मेजर जनरल वीटी मैथ्यू ने 24 टन भार वहन करने की क्षमता वाले इस पुल के पूरा होने के बाद अपने आधिकारिक वाहन से पुल पार किया। इस दौरान मेजर जनरल मैथ्यू ने कहा, "इस पुल से राहत सामग्री और बचाव दल को पहुंचाने में मदद मिलेगी।" उन्होंने कहा, "पुल से अधिक लोगों के मिलने की उम्मीद है। हम हर जगह तलाश कर रहे हैं। कुछ लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। ऐसे लोग होंगे जो मदद के लिए संपर्क करने में असमर्थ हैं।"शवों की तलाश जारी
उन्होंने आगे कहा, "दुर्भाग्य से हम शवों की भी तलाश कर रहे हैं। मृतकों की कुल संख्या जिला अधिकारियों द्वारा दी गई है; हालांकि, सेना और क्षेत्र के अन्य लोगों ने 120 शव बरामद किए हैं।" मैथ्यू ने कहा, "मृतकों की संख्या बहुत अधिक है। ये केवल वे शव हैं जिन्हें हमने बरामद किया है।"मेजर जनरल मैथ्यू ने कहा, "हम रडार उपकरण तैनात करने पर विचार कर रहे हैं। हमारे पास पहले से ही खोजी कुत्ते हैं जो गहराई में दबे शवों को खोजने का काम कर रहे हैं। थर्मल स्कैनर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित है क्योंकि शव गर्मी नहीं छोड़ते हैं।"
इससे पहले, बचावकर्मियों ने फंसे हुए लोगों की मदद करने के लिए भूमि के बीच अस्थायी लकड़ी के पुल बनाए थे। हालांकि, बुधवार को भारी बारिश के कारण वे अस्थायी पुल ढह गए। पुल बनाने के लिए सामग्री दिल्ली और बेंगलुरु से कन्नूर हवाई अड्डे पर लाई गई और 17 ट्रकों द्वारा वायनाड लाई गई। वहीं, बचावकर्मी ढही हुई इमारतों में फंसे लोगों की तलाश के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। मृतकों की कुल संख्या 290 को पार कर गई है।