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Indian Navy Day 2022: आज है भारतीय नौसेना दिवस, नौसेना प्रमुख सहित इन लोगों ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

भारतीय नौसेना दिवस पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के साथ सीडीएस जनरल अनिल चौहान आइएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और वाइस आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने नौसेना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

By Versha SinghEdited By: Updated: Sun, 04 Dec 2022 09:23 AM (IST)
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नौसेना दिवस पर नौसेना प्रमुख सहित इन लोगों ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। भारत के लिए 4 दिसंबर का दिन बहुत ही खास है। भारतीय नौसेना दिवस जो है। हर साल इस तारीख को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। 

इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के साथ सीडीएस जनरल अनिल चौहान, आइएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और वाइस आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने नौसेना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर बधाई दी। पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, सभी नौसेना कर्मियों और उनके परिवारों को नौसेना दिवस की शुभकामनाएं। भारत में हमें अपने समृद्ध समुद्री इतिहास पर गर्व है। भारतीय नौसेना ने दृढ़ता से हमारे देश की रक्षा की है और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपनी मानवीय भावना से खुद को प्रतिष्ठित किया है।

4 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है नौसेना दिवस

भारत में नौसेना दिवस हर साल चार दिसंबर को मनाने के पीछे नौसेना की खास उपलब्धि है। 1971 को जब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी। उस युद्ध के घटनाक्रम में 4 दिसंबर की तारीख को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला कर उसे तबाह कर दिया था। इसकी सफलता की याद में इस दिन को मनाया जाता है।

निर्णायक साबित हुआ था वह हमला

ये भारतीय नौसेना की ताकतवर और चुस्त रणनीति का नतीजा था कि पाकिस्तान भौंचक्का रह गया था। और इसके बाद युद्ध में पाकिस्तान को संभलने का मौका नहीं मिला था। उस समय भारत और पाकिस्तान की जमीन की सीमा बांग्लादेश के साथ होने की वजह से बहुत ही ज्यादा थी. इसलिए पाकिस्तान के लिहाज से नौसेना की अहमियत केवल यही थी कि पश्चिम पाकिस्तान नौसेना के जरिए ही पूर्वी पाकिस्तान को सामान भेज सकता था।

1971 में बहुत बड़ी थी भारतीय नौसेना की भूमिका

लेकिन पाकिस्तान की उम्मीद के खिलाफ भारत ने उसे नौसेना के जरिए चौंका कर जो बैकफुट पर धकेला, उसके बाद पाकिस्तान के संभलने का मौका नहीं मिला। इतना ही नहीं भारतीय नौसना की रणनीति का ही नतीजा था कि पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक कोई भी मदद अपने नौसेना के जरिए नहीं पहुंचा सका।

नौसेना स्वर्णिम विजय वर्ष

साल 2021 में 1971 के युद्ध की जीत की स्वर्ण जयंती है। इसी लिए इस बार इस दिन को भारतीय नौसेना स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रही है। भारतीय नौसेना की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1612 में की थी जिसे बाद में रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया और आजादी के बाद 1950 से इसे भारतीय नौसेना का नाम दिया गया।

बदलता रहा था नौसेना दिवस

भारत में नौसेना दिवस इससे पहले रॉयल नेवी के ट्रॉफैग्लर डे के साथ मनाया जाता था। 21 अक्टूबर 1944 को रॉयल इंडियन नेवी ने पहली बार नौसेना दिवस मनाया था। इसे मनाने का उद्देश्य आम लोगों में नौसेना के बारे में जागरूकता बढऩा था। 1945 से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नौसेना दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाने लगा था। इसके बाद 1972 तक नौसेना दिवस 15 दिसंबर कोमनाया जाता रहा और 1972 से अभी इसे 4 दिसंबर को ही मनाया जाता रहा है।

4 पाकिस्तानी जहाज हुए थे ध्वस्त

4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस को ऑपरेशन ट्रिडेंट की सफलता की याद में मनाया जाता है जिसके तहत ही भारतीय नौसेना ने करांची बंदरगाह तहस नहस किया था। इस दिन भारतीय नौसेना पाकिस्तान के चार जहाजों को डुबो दिया था जिसमें उसका प्रमुख जहाज पीएनएस खैबर भी शामिल था। इस ऑपरेशन में सैंकड़ों पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए। आज भारतीय नौसेना के व्यापक परिपेक्ष्य में काम करने की जरूरत है। चीन अपने महत्वाकांक्षी विस्तारवादी नीति तो लागू कर भारत के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन रहा है। वह हिंद महासागर में अपने उपस्थिति बढ़ा कर पूर्वी एशिया के साथ भारतीय समुद्री सीमाओं से लगे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है। इसमें श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार शामिल हैं. भारत भी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिल कर चीन की प्रभुत्व कम करने का प्रयास कर रहा है।