आज की सैन्य वार्ता तय कर सकती है PM मोदी व चिनफिंग की मुलाकात, अगले हफ्ते एक ही मंच पर होंगे दोनों नेता
चीनी सेना के घुसपैठ को लेकर जो लंबित मुद्दे हैं अगर उन पर सहमति बन जाती है तो दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत का रास्ता भी खुल सकता है। सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के घुसपैठ से रिश्तों में जो कटुता घुली था वह फिलहाल कम होती दिख रही है। बता दें कि चीन भारत का एक बड़ा कारोबारी साझेदार देश है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Mon, 14 Aug 2023 05:50 AM (IST)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। क्या अगले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में होने वाली ब्रिक्स शिखर सम्मलेन में पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (XI Jinping) के बीच वार्ता संभव है? इस सवाल का जबाव इस बात पर निर्भर करेगा कि सोमवार को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच होने वाली वार्ता का नतीजा कैसा है।
अप्रैल, 2020 में चीनी सेना की तरफ से किये गये घुसपैठ से उपजी स्थिति पर यह भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच होने वाली 19वें दौर की वार्ता होगी। इन वार्ताओं से दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव को खत्म करने में काफी सहायता मिली है। इस बात की वार्ता अप्रैल, 2023 के बाद हो रही है और इस बार माहौल काफी सकारात्मक है।
...तो इस प्रकार खुल सकेगा वार्ता का रास्ता
चीनी सेना के घुसपैठ को लेकर जो लंबित मुद्दे हैं अगर उन पर सहमति बन जाती है तो दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत का रास्ता भी खुल सकता है। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ से पहले तक पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच मुलाकातों का लंबा दौर चला है।डोकलाम संकट के बाद दोनो नेताओं ने आपसी समझ बूझ को बढ़ाने के लिए अनौपचारिक वार्ता का दौर भी शुरू किया था। इनके बीच अंतिम वार्ता अक्टूबर, 2019 में चेन्नई में हुई थी। इनके बीच अंतिम मुलाकात दिसंबर, 2022 में बाली (जी-20 बैठक के दौरान) में हुई थी और इसकी जानकारी कुछ हफ्ते पहले ही विदेश मंत्रालय ने दी है।
एक मंच पर होंगे PM मोदी और चिनफिंग
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के तकरीबन तीन हफ्ते बाद 09-10 सितंबर, 2023 को फिर मोदी और चिनफिंग जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए एक मंच पर होंगे। शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी की कई वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक किये जाने की संभावना है। ऐसे में अगर 19वें दौर की सैन्य वार्ता का सकारात्मक नतीजा निकलता है तो यह दोनो नेताओं के लिए आधिकारिक वार्ता करना ज्यादा आसान होगा।सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना के घुसपैठ से रिश्तों में जो कटुता घुली था वह फिलहाल कम होती दिख रही है। वांग यी के फिर से विदेश मंत्रालय संभालने के बाद से कुछ ही हफ्तों में ही उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से अलग अलग विमर्श हो चुका है।