ट्रंप के साथ ट्रेड डील, पुतिन से बिजनेस पर बात... FTA का मास्टर प्लान तैयार, भारत की बढ़ेगी ताकत
भारत रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है। यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर तेज़ी से बातचीत के लिए एक रोडमैप को मंजूरी दी गई है। नवंबर 2025 में पहले दौर की वार्ता भारत में होगी। इस समझौते से भारत को रूस के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों को लेकर वह बैकफुट पर नहीं है बल्कि इसे और मजबूत बनाने की कोशिश जारी है। मंगलवार (16 सितंबर) को जिस दिन नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कारोबारी समझौते को लेकर बातचीत हुई उसी दिन देर शाम यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईएईयूी) के व्यापार आयुक्त आंद्रे स्लेपनेव ने भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ मुलाकात की।
इस बैठक में भारत और इएइयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर तेजी से बातचीत के लिए एक रोडमैप को मंजूरी दी गई। दोनों पक्षों ने नवंबर 2025 की शुरुआत में भारत में पहला दौर की वार्ता आयोजित करने पर सहमति जताई, जिसमें भावी समझौते के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा होगी।
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि बहुत संभव है कि भारत-अमेरिका के बीच कारोबारी समझौते होने के कुछ ही महीनों भारत और ईएईयू के बीच भी एफटीए हो जाए। रूस ईएईयू का सबसे प्रमुख सदस्य है। अर्मेनिया, बेलारूस, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान अन्य सदस्य हैं।
भारत और रूस के बीच एफटीए को लेकर बात
सूत्रों का कहना है कि भारत और रूस के बीच एफटीए को लेकर पहले भी कई बार बातचीत हुई है। जुलाई, 2024 में मॉस्को में भारत-रूस सालाना शिखर सम्मेलन में यह मुद्दा उठा था। इस साल के अंत में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली शिखर सम्मेलन से पहले एफटीए पर संगठित तौर पर वार्ता की शुरुआत हो जाएगी।
भारत इसके लिए खास तौर पर रूचि ले रहा है। एक बड़ी वजह रूस के साथ भारत का बढ़ता व्यापार घाटा है। यूक्रेन युद्ध के बाद भारत का रूस से तेल व गैस का आयात काफी बढ़ चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में इनके बीच द्विपक्षीय व्यापार 69 अरब डॉलर का था जिसमें भारत का रूस से आयात 64 अरब डॉलर का था। निर्यात सिर्फ पांच अरब डॉलर का था। यानी व्यापार घाटा 59 अरब डॉलर का है।
चीन के बाद भारत का रूस के साथ सबसे ज्यादा व्यापारिक घाटा
असलियत में चीन के बाद भारत का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा रूस के साथ है। अगर एफटीए होता है तो भारतीय उत्पादों को रूस में विस्तार होने की संभावना है। एफटीए के लिए भारतीय कंपनियों के लिए रूस में निर्माण संयंत्र स्थापित करने में भी सहूलियत होगी। नवंबर में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता की शुरुआत होने से पहले ईएईयू के सदस्य देशों और भारतीय पक्ष के बीच अनौपचारिक तौर पर भी वार्ता होगी।
भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी समझौते पर चर्चा
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को ही भारत और अमेरिका के बीच भी कारोबारी समझौते पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। यह संयोग भारत की उस कूटनीतिक रणनीति को रेखांकित करता है, जिसमें वह पश्चिमी और पूर्वी शक्तियों के साथ समान रूप से संबंधों को मजबूत कर रहा है।
अमेरिका के साथ भारत का व्यापारिक संबंध तकनीकी नवाचार, निवेश और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है, जबकि रूस व ईएईयू के साथ सहयोग ऊर्जा, रक्षा और कच्चे माल जैसे क्षेत्रों में निर्भर होगा। यह दोहरी रणनीति भारत की वैश्विक व्यापार में बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। एक तरफ, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और तकनीकी नेतृत्व में मजबूत स्थिति प्रदान कर सकता है।
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