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kavach System: रेल हादसों पर अब लगेगी लगाम! 4 साल में सभी लोकोमोटिव को किया जाएगा कवच प्रणाली से लैस

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने स्वदेशी तकनीक एवं संसाधनों से कवच का विकास किया है। इसके 4.0 वर्जन को इसी साल 17 जुलाई को पूरा किया गया है। यह जंगल पहाड़ और पानी सभी तरह की भौगोलिक स्थितियों में प्रभावी तरीके से काम करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि अगले चार वर्षों में ही देश के सारी ट्रेनों में कवच प्रणाली लगा दी जाएगी।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Wed, 07 Aug 2024 10:07 PM (IST)
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पायलट की गलतियों से नहीं होंगे ट्रेन हादसे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पायलट की गलतियों से एक ही पटरी पर दो ट्रेनों के बीच होने वाले टक्कर पर जल्द नियंत्रण लग जाएगा। अगले चार वर्षों में ही देश के सारी ट्रेनों में 'कवच' प्रणाली लगा दी जाएगी। रेलवे ने अभी दस हजार किमी रेल रूट पर कवच लगाने का काम तीन कंपनियों को दिया है। बाकी रेल रूट, लोकोमोटिव एवं आठ हजार स्टेशनों के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

सभी परिस्थितियों में काम करेगा कवच

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को मीडिया को बताया कि रेलवे ने स्वदेशी तकनीक एवं संसाधनों से कवच का विकास किया है। इसके 4.0 वर्जन को इसी साल 17 जुलाई को पूरा किया गया है। यह जंगल, पहाड़ और पानी सभी तरह की भौगोलिक स्थितियों में प्रभावी तरीके से काम करने में सक्षम है।

रेल मंत्री ने बताया क्यों होते हैं हादसे?

रेल मंत्री ने बताया कि ट्रेन हादसों के तीन बड़े कारण होते हैं। ट्रैक की खराबी, ड्राइवर की गलती एवं कभी-कभी ट्रैक पर कुछ आ जाने पर एक्सीडेंट का खतरा रहता है। कवच प्रणाली से ड्राइवर की गलतियों से होने वाले हादसों का खतरा पूरी तरह टल जाएगा। देश में अभी लगभग 20 हजार रेल इंजन हैं। प्रत्येक वर्ष करीब पांच हजार इंजनों पर कवच लगाया जाएगा। इस तरह चार वर्ष में ही सभी लोकोमोटिव में कवच प्रणाली लगा दी जाएगी।

पुराने वर्जन की कवच प्रणाली को किया जाएगा अपडेट

उन्होंने कहा कि रेल ट्रैक एवं स्टेशनों पर भी नया वर्जन का कवच लगाना है। रेलवे ने तीन कंपनियों को काम दिया है। दो अन्य कंपनियों को काम दिया जाना है। जिन रेल रूटों पर पहले से पुराने वर्जन की कवच प्रणाली लगी है, उस भी अपग्रेड किया जाएगा। नया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना है। सौ प्रतिशत स्वदेशी तकनीक एवं संसाधनों से निर्मित कवच के 4.0 वर्जन को 17 जुलाई को पूरा किया गया है।

 यह जंगल, पहाड़ और पानी सभी तरह की भौगोलिक स्थितियों में प्रभावी तरीके से काम करने में सक्षम है। रेल मंत्री ने बताया कि कवच का नया वर्जन अभी तक सभी परीक्षणों में कवच सौ प्रतिशत खरा उतरा है। इससे ट्रेन की गति पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।

तीन हजार किमी में इसी साल पूरा होगा काम

दिल्ली-मुंबई एवं दिल्ली-हावड़ा रूट पर लगभग तीन हजार किमी में कवच लगाने का काम जारी है, जिसे इसी वित्तीय वर्ष तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली से चेन्नई और मुंबई से चेन्नई के लगभग 3,300 किमी रूट समेत सभी स्वचालित सिग्नलों के लिए भी निविदाएं निकाली गई हैं।

इसमें भी अक्टूबर से लगना शुरू हो जाएगा। दो सालों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके तुरंत बाद अन्य रूटों पर भी काम शुरू होगा। अगले कुछ वर्षों में ही पूरे रेल नेटवर्क पर कवच प्रणाली को तेजी से स्थापित करने में मदद मिलेगी।

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