सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की ट्रांसक्रिप्ट भविष्य में हो सकेंगी उपलब्ध, प्रयोग के तौर पर शुरू हुई प्रक्रिया
लाइव ट्रांसक्रिप्शन की यह प्रक्रिया पहली बार प्रयोग के तौर पर चीफ जस्टिस कोर्ट में चल रही संविधान पीठ की सुनवाई में हुई। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रही लड़ाई की सुनवाई के लिए बैठी पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में पहली बार यह प्रक्रिया शुरू हुई।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Tue, 21 Feb 2023 11:59 PM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली: जो प्रयोग सुप्रीम कोर्ट ने शुरू किया है, अगर वह सफल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब संसद की कार्यवाहियों की तरह सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाइयों की भी लाइव ट्रांसक्रिप्ट उपलब्ध होगी। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक था। कोर्ट में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का इस्तेमाल करके सुनवाई की लाइव ट्रांसक्रिप्शन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वकील दलीलें रख रहे थे और सामने लगी डिस्प्ले स्क्रीन पर दलीलें लिखी हुई दिखाई देती जा रही थीं। शाम को तैयार ट्रांसक्रिप्ट पक्षकारों के वकीलों को दी गई। सब कुछ पहली बार हो रहा था। सभी खुश और चमत्कृत थे।
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संविधान पीठ की सुनवाई में हुआ लाइव ट्रांसक्रिप्शन
लाइव ट्रांसक्रिप्शन की यह प्रक्रिया पहली बार प्रयोग के तौर पर चीफ जस्टिस कोर्ट में चल रही संविधान पीठ की सुनवाई में हुई। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रही सत्ता की लड़ाई की सुनवाई के लिए बैठी पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में पहली बार यह प्रक्रिया शुरू हुई। पीठ की अगुआई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत में मौजूद वकीलों से कहा, क्या आप स्क्रीन देख रहे हैं? हम केवल लाइव ट्रांसक्रिप्शन की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। तब हमारे पास बहसों का एक स्थाई रिकार्ड होगा। इससे जजों और वकीलों, दोनों को मदद मिलेगी। ला कालेज इसका विश्लेषण भी कर सकते हैं और जान सकते हैं कि कैसे बहस की जाती है।कानून के छात्र भी उठा सकेंगे लाभ
भविष्य में कानून के छात्र भी इसका लाभ उठा सकेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी एक मुद्दा यह भी है कि अगर दो या दो से अधिक लोग एक साथ बोलते हैं, तो यह कैसे दिखाया जाए? लेकिन इसका भी समाधान निकाला जाएगा। सीजेआइ की इस घोषणा पर बहस के लिए मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने खुशी जाहिर करते कहा कि यह तो बहुत अच्छा विचार है। यह मील का पत्थर होगा। तभी पीठ में मौजूद दूसरे न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा ने कहा कि इससे सुप्रीम कोर्ट सही मायने में कोर्ट आफ रिकार्ड होगा, जहां बोला जाने वाला हर शब्द रिकार्ड किया जाएगा।