CRPF Recruitment: छत्तीसगढ़ के आदिवासी युवाओं को सीआरपीएफ भर्ती में मिलेगी छूट; सरकार ने दी मंजूरी, जानें क्या है प्रक्रिया
सरकार ने सीआरपीएफ में कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया के लिए आदिवासी युवाओं के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट को मंजूरी दे दी है। बीजापुर दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के आंतरिक क्षेत्रों से भर्ती रैली के माध्यम से भर्ती होने वाले आदिवासी युवाओं को शैक्षणिक योग्यता में विशेष छूट दी जाएगी।
By Amit SinghEdited By: Updated: Wed, 01 Jun 2022 07:16 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई: केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी युवाओं को बड़ी राहत दी है। सरकार ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया के लिए आदिवासी युवाओं के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट को मंजूरी दे दी है। अब बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के आंतरिक क्षेत्रों से भर्ती रैली के माध्यम से सीआरपीएफ में कांस्टेबल के रूप में भर्ती होने वाले आदिवासी युवाओं को शैक्षणिक योग्यता में विशेष छूट दी जाएगी।
केंद्र सरकार के इस कदम से संभावना जताई जा रही है कि बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के आंतरिक क्षेत्रों के करीब 400 आदिवासी युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेगे। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है। पहले सीआरपीएफ में कांस्टेबल पद के लिए आदिवासी युवाओं की शैक्षणिक योग्यता कम से कम 10वीं पास रखा गया था। जिसे अब घटाकर 8वीं कर दिया गया है। जिसके बाद अब दक्षिण छत्तीसगढ़ के तीन जिलों के 8वीं पास युवा सीआरपीएफ में कांस्टेबल पद के आवेदन कर सकेंगे।
साथ ही बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय के ओर से भर्ती के लिए शारीरिक मानकों में भी उचित छूट भी दी जाएगी। गौरतलब है कि सीआरपीएफ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है, जो मूल रूप से कानून और व्यवस्था के रख-रखाव, काउंटर इंसर्जेंसी से निपटने और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने जैसे कर्तव्यों के लिए है।
सीआरपीएफ ने 2016-2017 के दौरान छत्तीसगढ़ के चारों जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा से अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की भर्ती करके एक बस्तरिया बटालियन का गठन किया था। हालांकि, यह इष्टतम परिणाम नहीं दे सका क्योंकि आंतरिक क्षेत्रों के मूल युवा 10वीं पास जैसी आवश्यक शैक्षणिक योग्यता पूरी न करने के कारण भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके। सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ के अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों से 400 मूल आदिवासी युवाओं को कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के रूप में भर्ती करने का प्रस्ताव रखा है।