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महालक्ष्मी मंदिर में नहीं घुस पाई तृप्ति देसाई, स्थानीय महिलाओं ने रोका

भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई को कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया है। इलाके की स्थानीय महिलाओं ने तृप्ति को मंदिर में घुसने नहीं दिया।

By anand rajEdited By: Updated: Thu, 14 Apr 2016 07:39 PM (IST)
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मुंबई। भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई को कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया है। इलाके की स्थानीय महिलाओं ने तृप्ति को मंदिर में घुसने नहीं दिया। इससे पहले आज ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। गौरतलब है कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की लड़ाई जीतने के बाद उन्होंने महालक्ष्मी मंदिर में प्रवेश के लिए संघर्ष करने का ऐलान किया था।

मंदिर में साड़ी पहनने का आदेश

वहीं शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विवाद खत्म होने के बाद अब एक और नया विवाद शुरू हो गया है। कोल्हापुर पुलिस ने भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई को साड़ी पहन कर मंदिर में आने का निर्देश दिया है। वहीं तृप्ति ने पुलिस के इस निर्णय को मानने से इंकार कर दिया है।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पुलिस ने कहा है कि अगर तृप्ति देसाई महालक्ष्मी मंदिर में प्रवेश चाहती हैं तो वे पारंपरिक परिधान साड़ी में ही आएं। हालांकि तृप्ति देसाई ने इससे साफ इंकार करते हुए कहा कि वह साड़ी में नहीं बल्कि फॉर्मल कपड़ों में मंदिर में प्रवेश करेंगी। दरअसल सोमवार को देसाई अपनी कुछ महिला साथियों के साथ वहां पहुंची थीं। लेकिन साड़ी नहीं पहनने पर पुलिस ने उन्हें मंदिर में प्रवेश से मना कर दिया था।

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तृप्ति देसाई ने आरोप लगाया कि मंगलवार को अनिल देशमुख नाम के एक पुलिस अफसर ने उन्हें फोन किया। देशमुख ने उनसे कहा कि अगर वे मंदिर में पूजा के लिए आती हैं तो साड़ी पहनकर आएं ताकि परंपरा न टूटे।

तृप्ति का कहना है कि मंदिर में प्रवेश के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है। साड़ी नहीं पहनने की वजह से हमें मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने कहा कि कोई भी यह तय नहीं कर सकता है कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना। 'मैं प्रवेश के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहन कर आऊंगी। सबसे महत्वपूर्ण ये बात है कि मैं वहां महालक्ष्मी के दर्शन के लिए जा रही हूं।'

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बातचीत की पुष्टि करते हुए अनिल देशमुख ने कहा कि मैंने उन्हें बुधवार को साड़ी पहनकर मंदिर आने के लिए कहा था। मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह जरूरी भी है। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे साड़ी पहनकर आएं। सोमवार को भी साड़ी नहीं पहनने की वजह से हमने उन्हें रोक दिया था। हमारा अनुरोध था कि आप साड़ी पहनकर आएं। हमारा उद्देश्य सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखना है।