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क्या तिरुमाला में बसी थी हनुमान जी की किष्किंधा, इसको लेकर टीटीडी जल्द जारी करेगा साक्ष्य

तिरुपति मंदिर के प्रशासक टीटीडी ने विगत शनिवार को दावा किया कि सात पवित्र पहाड़ियों वाले तिरुमाला में भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर स्वामी का वास है। इन्हीं में से एक पहाड़ी पर हनुमान जी की जन्मस्थली बताई जा रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 12 Apr 2021 11:12 PM (IST)
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अपने दावे के समर्थन में 13 अप्रैल को साक्ष्यों के साथ एक किताब जारी करने की घोषणा की है

बेंगलुरु, प्रेट्र। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने दावा किया है कि तिरुमाला पर्वत श्रृंखला दरअसल श्रीराम भक्त हनुमान जी की जन्मस्थली है। उनका कहना है कि वह इन साक्ष्यों पर आधारित एक पुस्तक भी जारी करेंगे जिससे धार्मिक मान्यताओं और पुरातत्व के क्षेत्र में एक क्रांति आ जाएगी। बल्लारी के पास स्थित हम्पी को सदियों से वानर राज्य 'किष्किंधा क्षेत्र' कहा जाता है।

तिरुपति मंदिर के प्रशासक टीटीडी ने विगत शनिवार को दावा किया कि सात पवित्र पहाड़ियों वाले तिरुमाला में भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर स्वामी का वास है। इन्हीं में से एक पहाड़ी पर हनुमान जी की जन्मस्थली बताई जा रही है। टीटीडी का कहना है कि इसे साबित करने के लिए वह आगामी 13 अप्रैल को एक पुस्तक का विमोचन करेंगे। इसी दिन हिंदू नव वर्ष 'उगाड़ी' भी है।

टीटीडी को इस विषय में नहीं करनी चाहिए जल्दबाजी: विश्व हिंदू परिषद

हालांकि पुरातत्वविदों और इतिहासकारों ने टीटीडी के इस दावे को खारिज कर दिया है। वहीं, विश्व हिंदू परिषद की कर्नाटक इकाई ने कहा कि टीटीडी को इस विषय में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्हें विद्वानों और अन्य धर्म प्रमुखों से इस पर चर्चा करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। इतिहासकार सर्वसम्मति से मानते हैं कि हम्पी या उसके आसपास का क्षेत्र विजयनगर साम्राज्य की राजधानी किष्किंधा क्षेत्र है। उनका दावा है कि हम्पी स्थित अंजनाद्री ही हनुमान जी की जन्मस्थली अंजनेया है। यहां तक कि इस क्षेत्र में पाषाणकाल की चट्टानें हैं जिन पर पूंछ वाले लोगों के प्राचीन चित्र बने हुए हैं। बेलाकल्लू के पास संगमकल्लू स्थित कई प्राचीन गुफाओं में सुंदर चित्रकारी की गई है। यहां भी मानव आकृतियों की छवि पूंछ के साथ ही बनाई गई है। इसीलिए यहां आग्रह किया जाता है कि वानर असल में मानव प्रजाति का ही पूंछ वाला स्वरूप है।

चित्रकला परिषद के कला इतिहास के विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र राव कुलकर्णी संभवत: त्रेता युग और भगवान राम के समय में इन्हीं लोगों ने उनकी मदद की थी। उन्होंने बताया कि धारवाड़ यूनिवर्सिटी में एंशियंट इंडियन हिस्ट्री एंड एपीग्राफी के पूर्व चेयरमैन व प्रोफेसर ए.सुंदरा ने कहा कि बल्लारी क्षेत्र के पास प्राचीन मानव आकृतियां मिलती हैं। हम्पी के अंदर और आसपास करीब सौ से अधिक हनुमान की प्रतिमाएं उपलब्ध हैं।

यहां एक पंपा सरोवर भी 

कुलकर्णी ने पूछा कि आखिर तिरुमाला क्षेत्र में हनुमान जी की मूर्तियां क्यों नहीं दिखती हैं जबकि हम्पी क्षेत्र में हनुमान जी की मूर्तियां अत्यधिक दिखती हैं। उन्होंने दावा किया कि बाली के पुत्र और किष्किंधा के राजकुमार अंगद का शाही क्षेत्र अनेगुंडी है। वहीं, भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व सुप्रीटेंडेंट का कहना है कि रामायण में उल्लिखित सभी स्थलों की उन्होंने पहले ही खोज कर ली है। उन्होने बताया कि यहां एक पंपा सरोवर भी है जो कि असल में तुंगभद्र नदी है। माल्यवंता, , ऋषिमूका, गंधमंडना, किष्किंधा, मतंगा और अंजनाद्री पर्वत श्रृंखलाएं हैं जो तिरुपति का घर मानी जाती हैं। उन्होंने कहा कि साक्ष्यों के हिसाब से पहले इस क्षेत्र को विजयनगर साम्राज्य और उससे पहले पम्पा क्षेत्र बताया गया था। अब इसकी पहचान किष्किंधा के तौर पर की जा रही है। यहां रामायण की कथा बताने वाले कई मंदिर हैं और आसपास के क्षेत्रों में हनुमान जी की हजारों मूर्तियां हैं। यहां के हर गांव में एक हनुमान मंदिर है। उनका कहना है कि टीटीडी को इस मामले में हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए।