Amrit Udyan: सुगंधित सुमन का 'अमृत उद्यान', ट्यूलिप व गुलाब के फूल पर्यटकों का मोह लेते हैं मन
अमृत उद्यान में गुलाब की कई किस्में खास है। साथ ही 12 अनूठी ट्यूलिप की किस्में लगाई गई हैं जो कि विभिन्न चरणों में खिलेंगी। पौधों और फूलों की किस्म की जानकारी के लिए क्यूआर कोड दिया गया है जिसको मोबाइल पर स्कैन करने से सारी जानकारी मिल जाएगी।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 29 Jan 2023 06:30 PM (IST)
नई दिल्ली, अजय कुमार राय। राष्ट्रपति भवन में स्थित अमृत उद्यान, जहां दुनियाभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखने को मिलती है। इस उद्यान को देखने वालों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। यहां के ट्यूलिप और गुलाब के फूलों की छटा पर्यटकों का मनमोह लेती है। इतना ही नहीं उद्यान में लगे फव्वारे भी कमल के आकार के हैं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अमृत उद्यान में कई छोटे-बड़े बगीचे हैं। इस समय यहां पर विभिन्न तरह के फूल खिले हुए हैं।
इस बार कई किस्में हैं खास
इस बार उद्यान में फूलों की कई किस्में खास है। 12 अनूठी ट्यूलिप की किस्में लगाई गई हैं, जो कि विभिन्न चरणों में खिलेंगी। पौधों और फूलों की किस्म की जानकारी के लिए क्यूआर कोड दिया गया है, जिसको मोबाइल पर स्कैन करने से सारी जानकारी मिल जाएगी।
ये वस्तुएं लाना है प्रतिबंधित
अमृत उद्यान में कई वस्तुओं का ले जाना प्रतिबंधित है। ब्रीफकेस के साथ कैमरा, रेडियो व ट्रांजिस्टर, बॉक्स, छाता, खाने-पीने का सामान उद्यान में ले जाना प्रतिबंधित है। शिशुओं के दूध और पानी की बोतल ले जा सकते हैं। साथ ही मोबाइल फोन, इलेक्ट्रानिक चाबी, पर्स व हैंडबैग भी ले जा सकते हैं।
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13 एकड़ में फैला यह उद्यान 1928 में बनकर तैयार हुआ। इसमें ब्रिटिश शैली के संग औपचारिक मुगल शैली का मिश्रण दिखाई देता है। 4 भागों में बंटा यह उद्यान एक-दूसरे से भिन्न और अनुपम हैं। यहां कई छोटे-बड़े बगीचे हैं। उद्यान में अनेक प्रकार के फूल देखे जा सकते हैं। इनमें ट्यूलिप, मोगरा-मोतिया, रजनीगंधा, बेला, रात की रानी, जूही, चम्पा-चमेली आदि शामिल हैं। यहां फूलों के साथ-साथ जड़ी-बूटियां और औषधियां भी उगाई जाती हैं। 120 तरह के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप और लगभग पांच हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां हैं।
इस उद्यान को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने आम लोगों के लिए खुलवाया था, तब से आज तक हर साल वंसत ऋतु में इसे जनता के लिए खोला जाता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन गुलाब के अत्यंत शौकीन थे। उन्होंने देश-विदेश से गुलाब की कई किस्में मंगवाकर यहां लगवाईं। इस उद्यान को राष्ट्रपति भवन के पीछे इसलिए रखा गया, क्योंकि मुगलों के बाग-बगीचे महल के पीछे ही हुआ करते थे। इसलिए एडवर्ड सर लुटियंस ने केवल इसका रूपांकन ही नहीं किया, बल्कि मुगलों की सोच को भी उसी तरह बनाए रखा।
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