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पूर्वी लद्दाख और 'चिकन नेक' में नए ड्रोन के दो बेड़े होंगे तैनात, LAC पर लद्दाख से सिक्किम तक करेंगे निगरानी

रक्षा सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख से लेकर सिक्किम और उसके आसपास के क्षेत्रों में बेहतर तरीके से निगरानी की जाएगी। भारतीय सेना को दिए गए यह ड्रोन सैटेलाइट कम्यूनिकेशन लिंक और उनके सेंसरों से जुड़े हुए हैं। यह अपनी मौजूदा खेप से अधिक एडवांस हैं।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 11 Dec 2022 11:11 PM (IST)Updated: Sun, 11 Dec 2022 11:11 PM (IST)
मानवरहित विमान लगातार 48 घंटे तक निगरानी मिशन को अंजाम देंगे-

नई दिल्ली, एएनआइ। चीन से जारी सैन्य तनातनी के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख से लेकर सिक्किम तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाते हुए नई ड्रोन यूनिट तैनात कर रहा है। मानवरहित यह विमान लगातार 48 घंटे तक अपने मिशन को अंजाम दे सकेंगे। अत्यधिक निगरानी क्षमता से लैस नए ड्रोन चीनी सैन्य गतिविधियों पर नजर रखेंगे। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के पास एक स्क्वाड्रन (बेड़ा) तैनात किया जाएगा। वहीं दूसरा बेड़ा पूर्व में स्थित 'चिकन नेक' सेक्टर में तैनात होगा।

एलएसी पर लद्दाख से सिक्किम तक निगरानी करेंगे सैटेलाइट वाले ड्रोन

रक्षा सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख से लेकर सिक्किम और उसके आसपास के क्षेत्रों में बेहतर तरीके से निगरानी की जाएगी। भारतीय सेना को दिए गए यह ड्रोन सैटेलाइट कम्यूनिकेशन लिंक और उनके सेंसरों से जुड़े हुए हैं। यह अपनी मौजूदा खेप से अधिक एडवांस हैं। निगरानी क्षमता बढ़ने से बिना किसी इंसानी मदद के अचूक और सटीक खुफिया जानकारियां हासिल की जा सकेंगीं। इन एडवांस ड्रोनों से इन मानवरहित विमानों को संचालित करने वाले ग्राउंड स्टेशन भी अधिक सशक्त होंगे।

मामूली गतिविधियों को रीयल टाइम में किया जा सकेगा ट्रेस

सैटेलाइट कम्यूनिकेशन प्रणाली के जरिये दूरदराज की मामूली से मामूली गतिविधियों को रीयल टाइम में ट्रेस किया जा सकेगा। हालांकि नए ड्रोनों को अभी हमला करने की क्षमता से लैस नहीं किया गया है, लेकिन उन्हें उस मानक तक तैयार करने का विकल्प मौजूद है। भारत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता पर भी काम कर रहा है। इसी के तहत सुरक्षा बल मौजूदा इजरायली मूल के हेरोन को भी अपग्रेड करना चाहते हैं।

ताकि संचार सुविधा और लंबी दूरी तक मिसाइलों से वार करने की क्षमता बढ़े। योजना के मुताबिक प्रोजेक्ट को भारतीय कंपनियों के नेतृत्व में इजरायली निर्माता कंपनियों के साथ बनाया जाना है। इस परियोजना में वायुसेना ने बढ़त ली है। इसके तहत भारतीय नौसेना और सेना में भी ड्रोन को अपग्रेड किए जाने की योजना है।

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