तीस्ता के तत्काल समर्पण के गुजरात HC के आदेश पर SC की रोक, देर रात हुई सुनवाई के दौरान सीतलवाड़ को मिली राहत
गोधरा कांड के बाद गुजरात में 2002 में हुए दंगों से जुड़े मामले में तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट के तत्काल आत्मसमर्पण करने के दिए गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात रोक लगा दी। शीर्ष कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की विशेष बेंच ने तीस्ता को एक सप्ताह की अंतरिम राहत देते हुए इस अवधि के दौरान उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 02 Jul 2023 12:47 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। गोधरा कांड के बाद गुजरात में 2002 में हुए दंगों से जुड़े मामले में तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट के तत्काल आत्मसमर्पण करने के दिए गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात रोक लगा दी। शीर्ष कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की विशेष बेंच ने तीस्ता को एक सप्ताह की अंतरिम राहत देते हुए इस अवधि के दौरान उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई।
गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ किया था SC का रुख
मालूम हो कि इससे पूर्व दिन में गुजरात हाई कोर्ट ने सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के खिलाफ तीस्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं। हालांकि, शीर्ष कोर्ट में भी पहले उन्हें राहत नहीं मिल पाई। शाम करीब सवा छह बजे इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने की।
सीजेआई ने गठित की थी तीन सदस्यों की बेंच
दोनों जज इस बात पर सहमत नहीं हो पाए कि जमानत दी जाए या नहीं। इसके बाद पीठ ने मामला चीफ जस्टिस को भेज दिया। इस पर सीजेआइ ने मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच गठित की। इसमें अन्य सदस्य जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता रहे। इस बेंच ने रात सवा नौ बजे मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए तीस्ता को एक सप्ताह की अंतरिम राहत दे दी।पीठ ने की तल्ख टिप्पणी
पीठ ने कहा कि एक सामान्य अपराधी भी अंतरिम राहत का हकदार है। गुजरात सरकार की तरफ से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये साधारण केस नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि एक सप्ताह अंतरिम जमानत बढ़ाने में दिक्कत ही क्या है? अहमदाबाद से राज्य ब्यूरो के अनुसार, शनिवार दिन में गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता की नियमित जमानत याचिका खारिज हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने को कहा था।
गुजरात हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
जस्टिन निर्झर देसाई ने कहा कि आरोपित ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र रचा और तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान पीएम नरेन्द्र मोदी की छवि धूमिल करते हुए उन्हें जेल भेजने की कोशिश की। कोर्ट ने सीतलवाड़ के वकील का आत्मसमर्पण के लिए 30 दिन का समय देने का अनुरोध भी खारिज कर दिया।अन्य कई लोग भी हैं आरोपी
अहमदाबाद अपराध शाखा ने दंगों के दौरान फर्जी शपथ पत्र, झूठे गवाह बनाकर कई निर्दोष लोगों को जेल भिजवाने के आरोप के चलते 25 जून, 2022 को तीस्ता को गिरफ्तार किया था। पूर्व आइपीएस आरबी श्रीकुमार व संजीव भट्ट भी इस मामले में सह आरोपित हैं। इनके खिलाफ धारा 468 (कूट दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी) व धारा 194 (झूठे गवाह बनाकर कठोर सजा की साजिश रचने) के मामले दर्ज हैं।