जानिए- खालिस्तान समर्थक समूह 'Sikhs for Justice' पर सरकार ने क्यों लगाया है बैन
खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस खुलेआम खालिस्तान के विचारों का समर्थन करता है और इस प्रक्रिया में भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देता है।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Thu, 09 Jan 2020 07:04 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत गठित एक न्यायाधिकरण ने खालिस्तान समर्थक समूह 'सिख्स फॉर जस्टिस' (Sikh for Justice) पर प्रतिबंध को बरकरार रखा है। इस समूह पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। न्यायाधिकरण ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद दस्तावेजों से स्पष्ट है कि समूह की गतिविधियां गैरकानूनी और विध्वंसकारी हैं। इससे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा है।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि साक्ष्यों से साबित होता है कि एसएफजे भारत विरोधी समूहों और बलों के साथ काम कर रहा था। ऐसे में केंद्र सरकार के पास गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत एसएफजे को गैरकानूनी घोषित करने का पर्याप्त कारण है। उसने कहा कि एसएफजे को गैर कानूनी समूह घोषित करने संबंधी 10 जुलाई, 2019 की भारत सरकार की अधिसूचना की पुष्टि की जाती है।
केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना में एसएफजे को गैरकानूनी समूह घोषित करते हुए उस पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना था कि समूह का प्राथमिक उद्देश्य पंजाब में स्वतंत्र और संप्रभु देश की स्थापना करना है। इस लिहाज से यह भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए चुनौती है। इसके बाद अगस्त में न्यायाधिकरण की स्थापना यह जांचने के लिए की गई थी कि एसएफजे को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।