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Uddhav vs Shinde: सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे को लगा झटका, चुनाव आयोग तय करेगा कौन है असली शिवसेना

सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह तय करने की अनुमति दी कि उद्धव और शिंदे के बीच किस गुट को असली शिवसेना पार्टी के रूप में मान्यता दी जाए और धनुष और तीर का चिन्ह आवंटित किया जाए।

By AgencyEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Tue, 27 Sep 2022 05:07 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की याचिका को खारिज कर दिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी| महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट में बड़ा झटका लगा है। शीर्ष कोर्ट ने मंगलवार को एक दिन की लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग को एकनाथ शिंदे समूह के असली शिवसेना होने के दावे पर फैसला करने से रोक लगाने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच शिवसेना में पार्टी के बीच विवाद का फैसला करने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष कार्रवाई पर कोई रोक नहीं होगी, जिसमें किसका किस मूल पार्टी पर अधिकार या चुनाव चिन्‍ह हासिल कर सकेगा।

उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर विचार करने से इंकार

इसमें जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पी.एस. नरसिम्हा ने उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर की गई एक याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया कि चुनाव आयोग को मामले में आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि शीर्ष अदालत शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिका का फैसला नहीं करती है।

चुनाव आयोग की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को हम निर्देश देते हैं कि कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी। उद्धव ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि शिंदे गुट अयोग्य होने के बाद चुनाव आयोग को स्थानांतरित नहीं कर सकते।

चुनाव आयोग को फैसला लेने से नहीं रोकता

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इसमें एक संदर्भ दिया गया है, जोकि एक तथ्य है। एक संवैधानिक निकाय को यह तय करने से नहीं रोकता है कि क्या उसके पास कानून के तहत फैसला लेने की शक्ति है। पीठ ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग के समक्ष कार्रवाई को लेकर अन्‍य याचिकाओं में से एक है, इसलिए इसे आगे नहीं बढ़ना चाहिए।

ठाकरे गुट का दावा, शिंदे की सदस्यता सवालों के घेरे में

सुनवाई के इस दौरान कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि एकनाथ शिंदे चुनाव आयोग में जाना चाहते हैं और कहते हैं कि उनका गुट राजनीतिक दल है, लेकिन इससे बहुत पहले इन कार्यवाही में पार्टी की उनकी सदस्यता सवालों के घेरे में है, जिसका फैसला पहले किया जाना है। उद्धव ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत का रुख कर एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना को क्षेत्रीय मान्यता देने की याचिका पर चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी।

विधायी इकाई की तुलना में बहुत व्यापक विन्यास है राजनीतिक दल

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि राजनीतिक दल उस पार्टी की विधायी इकाई की तुलना में बहुत व्यापक विन्यास है, जिसमें निर्वाचित सदस्य होते हैं। इसने आगे पूछा कि क्या विधायी इकाई में पूर्व के संबंध में चुनाव आयोग के अधिकार विवाद को प्रभावित करता है। शीर्ष अदालत ने दोनों गुटों के वकीलों और चुनाव आयोग के वकील की दलीलें भी सुनीं।

आपको बता दें कि महाराष्‍ट्र में सरकार बदलने और पार्टी में बागवत के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई है। दोनों गुट पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह पर अपना दावा कर रहे हैं। जल्‍द ही राज्‍य में बीएमसी और निकाय होने हैं। दोनों गुटों के बीच आपसी संघर्ष होने की उम्‍मीद है। पिछले दिनों बांबे कोर्ट ने दशहरा के मौके पर शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे को रैली करने की अनुमति दी थी। वहीं बीएमसी को फटकार लगाई थी।

आयोग ने दोनों खेमों से मांगा जवाब

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद के असली शिवसेना होने का दावा किया हुआ है। इसे लेकर चुनाव आयोग ने पार्टी के दोनों खेमों से जवाब मांगा था।

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