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समंदर में फंसी रोहिंग्याओं से भरी नाव में 180 लोगों के मारे जाने की आशंका- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी

UNHCR ने बताया कि समुद्र में न चलने योग्य नाव संभवत समुद्र में लापता होने के बाद डूब गई है। यूएनएचसीआर ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा रिश्तेदारों ने संपर्क खो दिया है। जो आखिरी बार संपर्क में थे उन्हें लगता है कि सभी मर चुके हैं।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 25 Dec 2022 11:34 PM (IST)
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समुद्र में फंसे 180 जातीय रोहिंग्या के मारे जाने की आशंका जताई गई है। सं

नई दिल्ली, रायटर। नवंबर में बांग्लादेश छोड़ने के बाद हफ्तों तक समुद्र में फंसे 180 जातीय रोहिंग्या के मारे जाने की आशंका जताई गई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने खबरों का हवाला देते हुए बताया कि समुद्र में न चलने योग्य नाव संभवत: समुद्र में लापता होने के बाद डूब गई है। यूएनएचसीआर ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, 'रिश्तेदारों ने संपर्क खो दिया है। जो आखिरी बार संपर्क में थे, उन्हें लगता है कि सभी मर चुके हैं।'

भारतीय जहाजों से किया गया था संपर्क

बीते दिनों फंसी हुई नाव ने मंगलवार देर रात भारतीय जहाजों से संपर्क किया था। भारतीय नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा था कि उनके पास इस बारे में साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है। इस बीच अनुमान के मुताबिक, पिछले हफ्ते, म्यांमार के दो रोहिंग्या कार्यकर्ता समूहों ने कहा कि भारत के तट से दो सप्ताह तक समुद्र में फंसी एक नाव पर भूख या प्यास से 20 लोगों की मौत हो गई। अब कहा जा रहा है कि कम से कम 100 लोगों वाली नाव मलेशियाई जलक्षेत्र में थी।

'ये भयानक और अपमानजनक है'

मानवाधिकार समूह 'द अराकान प्रोजेक्ट' की निदेशक क्रिस लेवा ने इस हादसे को लेकर कहा कि ये भयानक और अपमानजनक है। एशिया पैसिफिक रिफ्यूजी राइट्स नेटवर्क के रोहिंग्या वर्किंग ग्रुप ने कहा कि समूह दो सप्ताह से अधिक समय से भटक रहा था।'

आपको बता दें कि म्यांमार के 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भीड़-भाड़ वाले शिविरों में रह रहे हैं, जिनमें 2017 में सेना द्वारा घातक कार्रवाई किए जाने के बाद म्यांमार से भागे दसियों हजार लोग भी शामिल हैं। बौद्ध-बहुसंख्यक म्यांमार में, अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर दिया जाता है और उन्हें दक्षिण एशिया से घुसपैठियों, अवैध प्रवासियों के रूप में देखा जाता है।

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