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Jagran Trending | UN महासचिव ने ग्‍लोबल वार्मिंग को लेकर दुनिया को किया खबरदार, युद्ध में उलझे रहेंगे तो रहने लायक नहीं रहेगी धरती

अगर समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो दुनिया का तापमान इतना बढ़ जाएगा कि यह धरती रहने लायक नहीं रहेगी। आज इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि महासचिव ने दुनिया को क्‍यों खबरदार किया है? संयुक्‍त राष्‍ट्र की क्‍या है बड़ी चिंता?

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 17 Jun 2022 11:08 AM (IST)
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UN महासचिव ने ग्‍लोबल वार्मिंग को लेकर दुनिया को किया खबरदार। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। World Environment Day 2022: संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव ने ग्‍लोबल वार्मिंग को लेकर लिए दुनिया को खबरदार किया है। उन्‍होंने कहा कि विकसित मुल्‍कों की प्राथमिकता ग्‍लोबल वार्मिंग नहीं है। कई देश युद्ध में उलझे हुए हैं। उन्‍होंने कहा कि दुनिया में मीथेन गैस का उत्‍सर्जन लगातार बढ़ रहा है। अगर समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो दुनिया का तापमान इतना बढ़ जाएगा कि यह धरती रहने लायक नहीं रहेगी। आज इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि महासचिव ने दुनिया को क्‍यों खबरदार किया है? संयुक्‍त राष्‍ट्र की क्‍या है बड़ी चिंता? जीवाश्‍म ईंधन को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने क्‍या कहा।

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव ने दुनिया को चेताया

1- संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव ने दुनिया से आग्रह करते हुए कहा है कि जलवायु संकट के खराब प्रभावों की रोकथाम के लिए और वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए उत्सर्जनों में 2030 तक 45 फीसद की कमी करनी होगी। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए 2050 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना होगा। उन्‍होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष 2021 में ऊर्जा सम्बन्धी कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में छह फीसद बढ़ोत्तरी हुई, जबकि उसमें गिरावट होनी चाहिए थी।

2- संयुक्‍त राष्‍ट्र प्रमुख ने कहा कि रहने योग्य ग्रह के लिए एक मात्र रास्ता, प्रदूषक जीवाश्म ईंधन विशेष रूप से कोयले का प्रयोग बन्द करने और अक्षय ऊर्जा के विकल्पों की तरफ बदलाव करने में ही है। उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा 21वीं सदी के लिए एक शान्ति योजना है। महासचिव ने दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह जी-20 से कोयला ढांचे को समाप्‍त करने का फिर आग्रह किया है। इसके तहत 2030 तक इसका पूर्ण खात्‍मा हो जाए, अन्य देशों के लिए यह समय सीमा 2040 रखी जा रही है। महासचिव ने उक्‍त बातें हाल में जलवायु संकट पर छठे आस्ट्रियाई विश्व सम्मेलन में ये बात कही है। इसका आयोजन आस्ट्रेलिया सरकार और अमेरिका के कैलीफोर्निया प्रान्त के पूर्व गवर्नर व हालीवुड फ‍िल्‍म अभिनेता और जलवायु कार्यकर्ता अरनाल्ड श्वार्जेनेगेर ने किया।

3- उन्होंने जोर देकर कहा कि अब वक्‍त आ गया है कि हमें अपने प्राणों को बचाने के लिए एकजुट होना चाहिए, लेकिन हम मूर्खतापूर्ण युद्ध में उलझे और ब‍िखरे हुए हैं। यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा कीमतों में आए उछाल के हालात में भी विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ने जीवाश्म ईंधन का प्रयोग और ज्‍यादा बढ़ा दिया है। युद्ध ने एक कटु सबक सिखाया है कि हमारा ऊर्जा मिश्रण बिखर चुका है। उन्‍होंने कहा कि हम इसके ऐतिहासिक और खतरनाक परिणाम देख सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि मैं बेबाक तौर पर कहता हूं कि जलवायु संकल्‍प पर लिए गए फैसले पर्याप्‍त नहीं है। उन्‍होंने कहा कि विज्ञान व जनमत कायर जलवायु नीतियों की विफलता के प्रमाण दे रहे हैं।

4- उन्होंने अक्षय ऊर्जा पर कार्रवाई के लिए अपनी पांच सूत्री योजना को एक फ‍िर से दोहराया। प्रथम, अक्षय ऊर्जा टेक्नालाजी को एक वैश्विक सामान्य भलाई के रूप में स्‍थापित करना, जिसमें प्रौद्योगिकी को साझा करने में आने वाली बौद्धिक सम्पदा बाधाओं को दूर करना। दूसरा, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकीय घटकों और कच्ची सामग्रियों की आपूर्ति श्रृंखलाओं तक, वैश्विक पहुंच को बेहतर बनाना। तीसरा, लालफीताशाही में सुधार करना, जिसने अक्षय उत्पादन क्रान्ति को आगे बढ़ने से रोका हुआ है। चौथा, ऊर्जा सब्सिडी जीवाश्म ईंधनों से हटाकर अक्षय ऊर्जा की तरफ मोड़ना, जबकि बेहद कमजोर परिस्थितियों वाले लोगों के लिए सम्भावित परिणामों के भी समाधान निकाले जाए। पांचवा, अक्षय ऊर्जा साधनों में निवेश को तीन गुना करना।

मीथेन गैस के खतरे

1- गत वर्ष संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव गतिविधि द्वारा उत्पन्न मीथेन गैस का उत्सर्जन इस दशक में 45 फीसद तक कम किया जा सकता है। इससे पेरिस जलवायु समझौते की शर्तों के अनुरूप, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद मिलेगी। वैश्विक मीथेन आकलन नामक इस रिपोर्ट में मीथेन गैस में कमी करने के फायदे गिनाए गए हैं। कोहरे, धुंध और प्रदूषण में, मीथेन गैस मुख्य तत्व होती है। रिपोर्ट कहती है कि मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी करने से हर साल लगभग 2 लाख 60 हज़ार लोगों की मौतें रोकी जा सकती हैं। करीब 7 लाख 75 हजार, अस्थमा मरीजों के अस्पताल इलाज से भी बचा जा सकता है। साथ ही, लगभग ढाई करोड़ टन फसलों के नुकसान को भी टाला जा सकता है।

2- मीथेन ग्रीनहाउस गैस समूह की एक शक्तिशाली गैस है, जोकि पूर्व औद्योगिक काल से लेकर अब तक हुई तापमान वृद्धि में 30 फीसद हिस्से के लिए जिम्मेदार है। मानव गतिविधि द्वारा उत्पन्न मीथेन गैस का बड़ा हिस्सा इन प्रमुख तीन क्षेत्रों से आता है। खासकर तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से, विशाल कूड़ा घरों से जहां मानव द्वारा फेंका गया कूड़ा-कचरा इकट्ठा होता है, और तीसरा खेतीबाड़ी से मुख्य रूप से मवेशियों से संबधित उत्सर्जन में मीथेन में लगातार वृद्धि हो रही है। इस रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि 1980 के दौर में मानव गतिविधियों के कराण मीथेन गैस उत्सर्जन में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की तत्काल दरकार है।