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सभी विमानों, इंजन के कलपुर्जों पर एकसमान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर लागू, फैसले के पीछे सरकार ने बताई ये वजह

केंद्र सरकार ने सभी विमानों और विमान इंजन के कलपुर्जों पर एकसमान पांच प्रतिशत आईजीएसटी दर को लागू करने की सोमवार को घाषणा की। इस पहल का मकसद उद्योग को गति देना है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। यह घरेलू रखरखाव मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग के लिए मील का पत्थर है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Mon, 15 Jul 2024 10:49 PM (IST)
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सभी विमानों और इंजन कलपुर्जों पर आईजीएसटी दरें पांच प्रतिशत से लेकर 28 प्रतिशत तक थी। (फाइल फोटो)
आईएएनएस, नई दिल्ली। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सोमवार से सभी विमानों और विमान इंजन भागों पर 5 प्रतिशत की एक समान आईजीएसटी दर लागू करने की घोषणा की है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, यह निर्णय भारत के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग को वैश्विक विमानन केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

इस फैसले के पीछे नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से कारण बताया जा रहा है कि इससे परिचालन लागत में कमी आएगी, कर क्रेडिट के मुद्दे हल होंगे और निवेश आकर्षित होगा।

एमआरओ उद्योग के लिए उठाया गया कदम

राममोहन नायडू ने कहा, "एमआरओ वस्तुओं पर एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर की शुरूआत विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा बढ़ावा है। पहले, विमान घटकों पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की अलग-अलग जीएसटी दरों ने चुनौतियों का सामना किया, जिसमें एक उलटा शुल्क ढांचा और एमआरओ खातों में जीएसटी संचय शामिल था। यह नई नीति इन असमानताओं को समाप्त करती है, कर संरचना को सरल बनाती है और एमआरओ क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देती है।"

मंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में हम आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत को एक अग्रणी विमानन केंद्र में बदलने के लिए उनका समर्थन इस नीति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।"

सरकार का क्या है लक्ष्य?

भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि भारतीय एमआरओ उद्योग के 2030 तक 4 बिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है। यह नीति परिवर्तन एमआरओ सेवाओं के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और सतत विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रालय को विश्वास है कि यह कदम भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देगा और एक मजबूत और कुशल विमानन क्षेत्र का निर्माण करेगा।