Uniform Civil Code: हिमाचल में भी भाजपा ने चला समान नागरिक संहिता का दांव, जानें- क्या है UCC
Uniform Civil Code Update News हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और गुजरात की भाजपा सरकारों ने यूसीसी लागू करने की घोषणा की है। इसके अलावा भाजपा शासित कई और राज्यों के सीएम भी यह कह चुके हैं कि इसे कानून के दायरे में ला सकते हैं इसको देखा जा रहा है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Sun, 06 Nov 2022 11:52 AM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। हिमाचल प्रदेश के लिए भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इसमें वादा किया गया है कि विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर हिमाचल प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा।
इससे पहले उत्तराखंड और गुजरात की भाजपा सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में यूसीसी लागू करने के लिए ऐसी घोषणा की थी। इसके साथ ही भाजपा शासित कई और राज्यों के मुख्यमंत्री भी यह कह चुके हैं कि हम इसे कानून के दायरे में ला सकते हैं इसको देखा जा रहा है। यह भी जानना जरूरी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड है क्या? कौन- कौन राज्य इसे लागू करना चाहते हैं?
गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनेगी समिति
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है। 29 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में सीएम पटेल ने यह फैसला लिया था। समिति का गठन हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में किया जाएगा। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला ऐसे वक्त लिया है जब राज्य में जल्द विधानसभा का चुनाव होने वाला था।उत्तराखंड सरकार पहले से करा रही रायशुमारी
बता दें कि इसी साल 27 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता को लेकर पांच सदस्यीय समित का गठन किया था। समिति ने समान नागरिक संहिता पर रायशुमारी के लिए आठ सितंबर को वेबसाइट लॉन्च की थी। इसके अलावा, लोगों से डाक और ईमेल के माध्यम से भी सुझाव मांगे गए थे। उत्तराखंड में समिति को लिखित रुप से मिले सुझावों की संख्या साढ़े तीन लाख से ज्यादा बताई जा रही है। डाक, ईमेल और ऑनलाइन सुझावों की मिलाकर यह संख्या साढ़े चार लाख से ज्यादा बताई जा रही है। समिति से छह महीने में रिपोर्ट सीएम को सौंपने के लिए कहा गया था।
केंद्र सरकार ने इसी महीने दिया था सुप्रीम कोर्ट में जवाब
गौरतलब है कि इसी महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था। इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार संसद को समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, विवाह, तलाक, रखरखाव और गुजारा भत्ता को विनयमित करने वाले व्यक्तिगत कानूनों में एकरूपता की मांग की गई थी। केंद्र सरकार ने इसी याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया था।अब कामन सिविल कोड की बारी: शाह
गुजरात सरकार के फैसले के बाद समान नागरिक संहिता की एक बार फिर चर्चा हो रही है। पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल दौरे इस कानून को लाने का इशारा किया था। भाजपा कोर कमेटी की मीटिंग में शाह ने कहा कि सीएए, धारा 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं और कॉमन सिविल कोड की बारी है।