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जुलाई में पेश करेंगे अमृतकाल का आर्थिक रोडमैप, वित्त मंत्री बोलीं- वित्तीय सेक्टर में सुधारों का दौर रहेगा जारी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बात का पूरा भरोसा है कि आगामी आम चुनाव में उनकी पार्टी ही विजयी होने वाली है। उनके आत्मविश्वास का स्तर यह था कि उन्होंने यह ऐलान कर दिया कि अगले बजट में उनकी सरकार अमृतकाल यानी वर्ष 2047 तक देश की आर्थिक उन्नति का रोडमैप पेश करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि आगे भी आर्थिक सुधारों की गति तेज बनी रहेगी।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 01 Feb 2024 04:12 PM (IST)
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जुलाई में पेश करेंगे अमृतकाल का आर्थिक रोडमैप- वित्त मंत्री (फोटो, जागरण)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बात का पूरा भरोसा है कि आगामी आम चुनाव में उनकी पार्टी ही विजयी होने वाली है। उनके आत्मविश्वास का स्तर यह था कि उन्होंने यह ऐलान कर दिया कि अगले बजट में उनकी सरकार अमृतकाल यानी वर्ष 2047 तक देश की आर्थिक उन्नति का रोडमैप पेश करेगी।

अमृतकाल के लिए रणनीति का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आगे भी आर्थिक सुधारों की गति तेज बनी रहेगी और समावेशी विकास सरकार की अहम प्राथमिकता रहेगी। विकसित भारत बनाने के लिए विशाल वित्तीय आवश्यकताओं को देखते हुए वित्तीय सेक्टर में सुधार भी सरकार के एजेंडे में उपर रहेगा।

यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन को लेकर घेरा

इस घोषणा के साथ ही वित्त मंत्री ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को एक बार फिर उसके आर्थिक कुप्रबंधन के लिए घेरा और ऐलान किया कि वर्ष 2014 तक (यूपीए के कार्यकाल) के कुप्रबंधन से सबक सीखने के लिए सरकार सदन पटल पर एक श्वेत पत्र पेश करेगी। यह अलग बात है कि मौजूदा सरकार अपने कार्यकाल के दस साल में आर्थिक विकास दर के मामले में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार (2004-14) के प्रदर्शन से पीछे है फिर भी वित्त मंत्री तब की नीतियों को आर्थिक कुप्रबंधन की श्रेणी में रख रही हैं।

सरकार ने संकटों से पार पा लिया- वित्त मंत्री

सीतारमण ने कहा कि, "वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार ने बागडोर संभाली थी तब चरणवार अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने व शासन-प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी। उन संकटों से पार पा लिया गया है और अर्थव्यवस्था तेज विकास दर की राह पर है। लेकिन अब यह देखना सही होगा कि तब हम कहां थे और कुप्रबंधन से क्या सबक सीखा जा सकता है।"

सरकार नीतियां अपनाएंगी जो विकास की रफ्तार को बढ़ाएंगी

इसके पहले वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार आगे ऐसी नीतियां अपनाएंगी जो विकास की रफ्तार को बढ़ाएंगी, उत्पादकता बढ़ाएगी, सभी के लिए अवसर बनाएगी। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत के आधार पर अगली पीढ़ी के सुधारों को हाथ में लेगी और इनको सही तरीके से लागू करने के लिए राज्यों का भी सहयोग लेगी।

जुलाई में पूर्ण बजट में रोडमैप पेश करेगी सरकार

लघु, सूक्ष्म व मझौले उद्योगों के लिए पर्याप्त कोष व अत्याधुनिक प्रौद्योगिक उपलब्ध कराने पर भी सरकार का जोर रहेगा और नियामक माहौल को इसी के हिसाब से बदला जाएगा। ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सरकार की नीति भी सभी को पर्याप्त और किफायती कीमत पर ऊर्जा संसाधन उपलब्ध कराने का रहेगा। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि, “जुलाई में पूर्ण बजट में हमारी सरकार विकसित भारत के लक्ष्य का विस्तृत रोडमैप पेश करेगी।"

आईएमईसी होगा गेम चेंजर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने भी भारत से मध्य पूर्व होते हुए यूरोप तक बनाये जाने वाले आर्थिक कॉरीडोर (आईएमईसी) का जिक्र किया और इसे भारत के लिए गेम-चेंजर बताया। उन्होंने इस संदर्भ में पीएम नरेन्द्र मोदी के इस कथन को उद्धृत किया कि "आने वाले सैकड़ों वर्षों में यह कॉरीडोर वैश्विक कारोबार का आधार बनेगा और इतिहास इस बात को याद रखेगा कि इसकी नींव भारत में रखी गई थी।"

चीन के अंतरराष्ट्रीय कॉरीडोर बीआरआई का विकल्प

आईएईसी की घोषणा सितंबर, 2023 में नई दिल्ली में आयोजित जी-20 समूह की शीर्ष बैठक में की गई थी। पीएम मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रो, यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद समेत कई वैश्विक नेताओं ने मिल कर इसकी घोषणा की थी। माना जाता है कि चीन के अंतरराष्ट्रीय कॉरीडोर बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव) का विकल्प है।

कोरोना महामारी और भूराजनीतिक माहौल का जिक्र

देश की भावी आर्थिक तस्वीर की बेहद सुनहरी तस्वीर खींचने के साथ ही वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि पहले कोरोना महामारी और उसके बाद भूराजनीतिक माहौल का भी जिक्र किया। उनका मकसद यह बताना था कि युद्धों व विवादों के कारण भूराजनीतिक माहौल काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। उद्योगों को अपने यहां या मित्र देशों के यहां लगाने, आपूर्ति श्रृंखला के अव्यवस्थित होने, महत्वपूर्ण खनिजों व प्रतिस्पद्र्धा की वजह से वैश्वीकरण की परिभाषा बदल रही है।

कठिन समय में भारत ने जी-20 की अध्यक्षता की

इस कठिन समय में भारत ने जी-20 बैठक की अध्यक्षता सफलतापूर्वक की है। कोरोना महामारी के दौरान विश्व में खाद्य, उर्वरक, इंधन व वित्त की समस्या पैदा हुई है जबकि भारत अपनी राह बनाने में सफल रहा। भारत ने वैश्विक समस्याओं के समाधान पर सहमति बनाई।

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