बिहार-आंध्र प्रदेश समेत तीन राज्यों के लिए मोदी कैबिनेट की बड़ी घोषणा, रेल परियोजनाओं को मंजूरी
ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। यह क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भर बनाएगी और इससे रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई हैं। इससे लोगों वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार को कवर करने वाली दो रेल परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं में कुल 6,798 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
नई लाइन के निर्माण को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बिहार में नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर खंड के 256 किलोमीटर लंबे दोहरीकरण और अमरावती के माध्यम से एर्रुपलेम और नंबुरु के बीच 57 किलोमीटर लंबी नई लाइन के निर्माण को मंजूरी दी।
सामाजिक-आर्थिक विकास
इन दोनों परियोजनाओं से मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और बिहार को लाभ होगा, जहां भाजपा टीडीपी और जेडीयू के साथ गठबंधन में है। नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर खंड के दोहरीकरण से नेपाल, पूर्वोत्तर भारत और सीमावर्ती क्षेत्रों से संपर्क मजबूत होगा और मालगाड़ियों के साथ-साथ यात्री ट्रेनों की आवाजाही में सुविधा होगी, जिससे क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा।
- नई रेल लाइन परियोजना एर्रुपलेम-अमरावती-नम्बुरु आंध्र प्रदेश के एनटीआर विजयवाड़ा और गुंटूर जिलों और तेलंगाना के खम्मम जिले से होकर गुजरेगी।
- सरकार के अनुसार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार के तीन राज्यों में आठ जिलों को कवर करने वाली ये दो परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 313 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।
- नई लाइन परियोजना 9 नए स्टेशनों के साथ लगभग 168 गांवों और लगभग 12 लाख आबादी को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
- मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना दो आकांक्षी जिलों (सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर) से कनेक्टिविटी बढ़ाएगी, जो लगभग 388 गांवों और लगभग 9 लाख आबादी को सेवा प्रदान करेगी।
बुनियादी सुविधाओं के लिए कनेक्टिविटी
सरकार के अनुसार, ये कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात और सीमेंट जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। रेलवे पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, सीओ2 उत्सर्जन (168 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा, जो 7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।