डाटा शेयर की जानकारी लेना आपका अधिकार होगा, Digital Personal Data Protection बिल को कैबिनेट की मंजूरी
डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। बिल के कानून में बदलने के साथ ही डिजिटल डाटा शेयर की जानकारी लेना आपका अधिकार हो जाएगा। सरकार हो या बड़ी टेक कंपनियां सभी को यह बताना पड़ेगा कि आपका डाटा कहां इस्तेमाल हो रहा है। इस बिल के कानून बनने पर दिन भर आने वाले डिजिटल मार्केटिंग कॉल के खिलाफ भी बोर्ड में शिकायत कर सकेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (DPDP) बिल को बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई। अब बिल को आगामी 20 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। बिल के कानून में बदलने के साथ ही डिजिटल डाटा शेयर की जानकारी लेना आपका अधिकार हो जाएगा।
किसी भी व्यक्ति को अगर लगता है कि उसके डिजिटल डाटा का गलत इस्तेमाल हो रहा है तो वह निजी कंपनियों के साथ सरकार से भी अपने डाटा की जानकारी मांग सकता है।
सरकार और कंपनियों को देना होगा डेटा खर्चा का ब्योरा
सरकार हो या बड़ी टेक कंपनियां, सभी को यह बताना पड़ेगा कि आपका डाटा कहां इस्तेमाल हो रहा है। डाटा का गलत इस्तेमाल होने पर डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड में शिकायत कर सकेंगे। बड़ी टेक कंपनियां या कोई भी निजी संस्था आपके डिजिटल डाटा को किसी दूसरे के साथ आपकी इजाजत के बगैर साझा नहीं कर सकेंगी। विशेष परिस्थितियों में सरकार को इस नियम से छूट दी गई है।
इस बिल के कानून बनने पर दिन भर आने वाले डिजिटल मार्केटिंग कॉल के खिलाफ भी बोर्ड में शिकायत कर सकेंगे। अगर इस प्रकार के कॉल आपकी बिना मर्जी के आ रहे हैं तो उस नंबर को सबूत मानकर शिकायत कर सकेंगे।
डेटा प्रोटेक्शन नियम का उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई
सरकार का यह भी कहना है कि डाटा अब अर्थव्यवस्था का ईंधन है। डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए एक समग्र फ्रेमवर्क की जरूरत है। डीपीडीपी बिल इस फ्रेमवर्क की पूर्ति करेगा। डाटा प्रोटेक्शन नियम का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर बिल में 250 करोड़ तक के जुर्माने का प्राविधान किया गया है जिसे 500 करोड़ तक ले जाने की गुंजाइश रखी गई है। डिजिटल डाटा के गलत इस्तेमाल से प्रभावित व्यक्ति सिविल कोर्ट में क्षतिपूर्ति का भी दावा कर सकेगा।
विवाद को सुलझाने की व्यवस्था की गई
सूत्रों के मुताबिक बिल में कंपनियों को अपनी गलती को स्वैच्छिक रूप से स्वीकारने व उसे ठीक करने का भी प्रविधान शामिल किया गया है। किसी विवाद को कोर्ट में नहीं ले जाकर अल्टरनेट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन (एडीआर) यानी कि मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने की व्यवस्था की गई है।
मसौदे पर आईटी मंत्रालय को 21 हजार से ज्यादा सुझाव मिले
सरकार भरोसे वाले देश के साथ आपसी समझौते के तहत डाटा को साझा कर सकेगी, लेकिन गूगल, फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों के साथ अन्य किसी भी निजी संस्था को देश से बाहर डाटा साझा करने की इजाजत नहीं होगी। पिछले साल डीपीडीपी 2022 का प्रस्तावित मसौदा जारी किया गया था। इस प्रस्तावित मसौदे पर इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय को 21666 सुझाव प्राप्त हुए।
2018 में शुरू हुई थी डीपीडीपी बिल की यात्रा
48 निजी संस्थान तो 30 से अधिक सरकारी विभागों के साथ इस मसौदे को लेकर गहन चर्चा करने के बाद बिल को अंतिम रूप दिया गया है। डीपीडीपी बिल की यात्रा वर्ष 2018 में शुरू हुई थी। 2019 में इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दी गई। फिर संसदीय समिति की सिफारिश के आधार पर नए बिल को तैयार किया गया। मंत्रालय को इस बिल को संसद से मंजूरी की पूरी उम्मीद है।