विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत का मतलब देश की परंपराओं संस्कृति अतीत और उसके भविष्य से है। केंद्रीय मंत्री तिरुवनंतपुरम में पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ पर कहा कि इसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों और पारंपरिक कौशल और व्यवसायों में लगे अन्य लोगों की मदद करना है। उन्होंने कहा कई देशों में वैश्वीकरण औद्योगिकीकरण के कारण समय के साथ पारंपरिक कौशल और प्रतिभाएं लुप्त हो गईं।
By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 18 Sep 2023 06:07 AM (IST)
तिरुवनंतपुरम, पीटीआई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत का मतलब देश की परंपराओं, संस्कृति, अतीत और उसके भविष्य से है। केंद्रीय मंत्री तिरुवनंतपुरम में पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ पर कहा कि इसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों और पारंपरिक कौशल और व्यवसायों में लगे अन्य लोगों की मदद करना है।
'भारत का मतलब देश की परंपरा, संस्कृति से है'
कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि कई देशों में वैश्वीकरण, औद्योगिकीकरण के कारण समय के साथ पारंपरिक कौशल और प्रतिभाएं लुप्त हो गईं। लोग अपनी परंपराओं को भूल गए और उन्हें अगली पीढ़ी तक नहीं पहुंचाया जा सका। भारत के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए जो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जिसकी पहचान यहां के लोगों की हजारों वर्षों से विरासत में मिली परंपराएं व संस्कृति है।
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'भारत की पहचान, विरासत और संस्कृति को मजबूत कर रहे हैं'
जयशंकर ने कहा कि आज हम यहां भारत की पहचान, विरासत और संस्कृति को मजबूत करने के लिए एकत्र हुए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमने हजारों वर्षों में जो प्राप्त किया है वह हजारों वर्षों तक आगे बढ़ाया जाता रहे। उन्होंने कहा कि इसलिए जब हम भारत की बात करते हैं, तो वह भारत यही है। यह बयान इंडिया का नाम बदलकर भारत करने के भाजपा शासित केंद्र के कथित कदम पर देश में चल रही बहस के बीच महत्वपूर्ण है।
कारीगर और शिल्पकार समुदाय की जयशंकर ने की तारीफ
कारीगर और शिल्पकार समुदाय के बारे में जयशंकर ने कहा कि ये वे हैं जो अपनी रचनात्मकता, विचारों और काम के माध्यम से हमारे इतिहास में हमारी संस्कृति की छाप छोड़ते हैं। यह बहुत मूल्यवान है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को संसाधन दिए जाएंगे, जिसमें वित्तीय ऋण तक पहुंच भी शामिल है।
भारत के लोगों में प्रतिभा, क्षमता और रचनात्मकता है- जयशंकर
उन्होंने कहा कि वे अपने उपकरणों और क्षमताओं में सुधार कर सकेंगे, अपने उत्पादों को बाजार में बेच सकेंगे और देश और दुनिया को यह एहसास कराने के लिए तकनीक प्राप्त कर सकेंगे कि भारत के लोगों में कितनी प्रतिभा, क्षमता और रचनात्मकता है। जयशंकर ने कहा कि दिल्ली में जी20 बैठक के बीच हजारों वर्षों से भारतीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा उत्पादित आभूषण, मूर्तियां, बर्तन, कपड़े और लिपियों को देखने के लिए प्रतिनिधियों के परिवारों और पत्नियों के लिए एक प्रदर्शनी की व्यवस्था की गई थी।
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