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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में किया वित्त विधेयक के मामले को प्राथमिकता की मांग का विरोध, पढ़ें क्या दी दलीलें

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने वित्त विधेयक के मामले को प्राथमिकता देने की मांग का विरोध किया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं। मेहता ने अनुरोध किया कि कोर्ट मामलों की सुनवाई में वरिष्ठता क्रम से आगे बढ़े। कपिल सिब्बल ने कोर्ट से वित्त विधेयक से संबंधित मामले को सुनवाई में प्राथमिकता देने का अनुरोध किया।

By Jagran NewsEdited By: Manish NegiUpdated: Thu, 12 Oct 2023 07:16 PM (IST)
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केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक के मामले को प्राथमिकता की मांग का विरोध किया है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ के सामने सुनवाई के लिए लंबित मामलों में वित्त विधेयक से संबंधित मामले को प्राथमिकता दिये जाने की मांग का विरोध किया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने अनुरोध किया है।

तुषार मेहता ने अनुरोध किया कि कोर्ट मामलों की सुनवाई में वरिष्ठता क्रम से आगे बढ़े। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कोर्ट का विवेकाधिकार है कि वह मामलों पर कैसे सुनवाई करता है। मेहता ने आगे कहा कि मामले पर सुनवाई की प्राथमिकता राजनीतिक अनिवार्यताओं के आधार पर नहीं तय की जानी चाहिए।

कपिल सिब्बल ने दी दलीलें

बता दें कि तुषार मेहता ने यह बात तब कही जब वित्त विधेयक से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख और कार्यक्रम तय किये जाने का नंबर आया। मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से वित्त विधेयक से संबंधित मामले को सुनवाई में प्राथमिकता देने का अनुरोध किया। सिब्बल ने कहा कि यह जीवंत मुद्दा है।

सॉलिसिटर जनरल ने किया विरोध

सिब्बल के आग्रह पर पीठ की अगुवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे इस मामले को कुछ प्राथमिकता देंगे, तभी केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने इसका विरोध किया। सॉलिसिटर जनरल की दलील पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा ये हम पर छोड़ दीजिये।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ सात और नौ न्यायाधीशों की पीठों में लंबे समय से लंबित मामलों की तारीखें और कार्यक्रम तय करने के लिए बैठी थी। सुनवाई का कार्यक्रम तय करने के लिए छह मामले सात न्यायाधीशों की पीठ के लगे थे और चार मामले नौ न्यायाधीशों की पीठ के लगे थे। पीठ में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे।

सात न्यायाधीशों की पीठों में लंबित मामलों की सूची में पांचवे नंबर पर रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक केस शामिल था जिसमें वित्त विधेयक का मुद्दा उठाया गया है। इसी के साथ कई और अन्य याचिकाएं भी सुनवाई के लिए संलग्न हैं।

इससे पहले छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह आधार कानून जैसे अधिनियमों को वित्त विधेयक के तौर पर पारित करने की वैधता के मुद्दे पर विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेगा। वित्त विधेयक का मुद्दा आधार कानून और पीएमएलए कानून में संशोधन विधेयक को लेकर भी उठा था जिसे वित्त विधेयक के रूप में पेश किया गया था।

क्या होता है वित्त विधेयक?

संविधान के मुताबिक, वित्त विधेयक वह होता है, जिसे लोकसभा अध्यक्ष वित्त विधेयक के रूप में प्रमाणित करते हैं। वित्त विधेयक हमेशा लोकसभा में पेश किया जाता है। राज्यसभा उसे संशोधित या अस्वीकार नहीं कर सकती सिर्फ सिफारिशें कर सकती है, जिसे स्वीकार करना न करना लोकसभा पर होता है।

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