पराली जलते ही हरकत में आया केंद्र; उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, थर्मल पावर प्लांटों को जारी हुए सख्त निर्देश
पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इन्हें देख केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय अंतर मंत्रालयी बैठक हुई। इसमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और बिजली मंत्री आरके सिंह शामिल रहे...
By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Mon, 03 Oct 2022 10:51 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पराली जलने की घटनाओं और इससे उठने वाले धुएं के दिल्ली पहुंचते ही केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। सोमवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और बिजली मंत्री आरके सिंह की अगुवाई में इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय अंतर मंत्रालयी बैठक हुई। इसमें पराली के संकट से निपटने के उपायों पर चर्चा हुई।
थर्मल पावर प्लांटों को सख्त निर्देश
साथ ही थर्मल पावर प्लांटों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने ईंधन के तौर पर अनिवार्य रूप से पराली का इस्तेमाल करें। जो भी प्लांट इसका पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी। पराली संकट से निपटने को लेकर बुलाई गई इस बैठक में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु गुणवत्ता आयोग और केंद्रीय बिजली प्राधिकरण आदि एजेंसियों के अधिकारी शामिल हुए।
नया टेंडर जारी करने की प्रक्रिया जारी
इस दौरान थर्मल पावर प्लाटों में पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई। बिजली मंत्रालय ने बताया कि 39 थर्मल पावर प्लांटों में ईंधन के रूप में पराली का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही सभी प्लांटों को इसका इस्तेमाल बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक 83,066 टन बायोमास जलाया गया है। इसके साथ ही इसके लिए नए टेंडर जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
ज्यादा मात्रा में भी पराली के इस्तेमाल को लेकर करें विचार
वन एवं पर्यावरण मंत्री ने देशभर के सभी थर्मल पावर प्लांटों को निर्देश दिया है कि पराली जलाने की प्रक्रिया में तेजी लाएं। इसे लेकर उन्हें पूरी रिपोर्ट भी देने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्लांट अपने ईंधन में तय क्षमता से ज्यादा मात्रा में भी पराली के इस्तेमाल को लेकर विचार करें। अभी तक प्रत्येक प्लांट में जलने वाले ईंधन की कुल क्षमता का सिर्फ पांच प्रतिशत ही पराली का इस्तेमाल करने को कहा है।