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हर्षवर्धन ने असामान्य बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति को दी मंजूरी, इलाज के लिए सरकार देगी 20 लाख रुपए की मदद

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने असामान्य बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य दवाओं के स्वदेशी अनुसंधान और उसके स्थानीय उत्पादन पर अधिक ध्यान देने के साथ इन बीमारियों के इलाज की ऊंची लागत को कम करना है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 03 Apr 2021 11:17 PM (IST)
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने असामान्य बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 को मंजूरी दी है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Union Health Minister Harsh Vardhan) ने असामान्य बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य दवाओं के स्वदेशी अनुसंधान और उसके स्थानीय उत्पादन पर अधिक ध्यान देने के साथ इन बीमारियों के इलाज की ऊंची लागत को कम करना है। राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत उन बीमारियों के इलाज के लिए 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता का प्रविधान किया गया है, जो असामान्य बीमारी नीति में समूह एक के तहत सूचीबद्ध हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा, इस तरह की वित्तीय सहायता के लाभार्थी बीपीएल परिवारों तक सीमित नहीं होंगे। यह लाभ लगभग 40 प्रतिशत आबादी तक पहुंचाया जाएगा, जो प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र हैं। बयान में कहा गया कि असामान्य बीमारियों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता का प्रस्ताव राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) योजना के तहत किया गया है, न कि आयुष्मान भारत के तहत।

इसके अलावा, नीति में एक क्राउड फंडिंग व्यवस्था की भी परिकल्पना की गई है, जिसमें कॉरपोरेट और आम लोगों को असामान्य बीमारियों के इलाज के लिए एक मजबूत आइटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से वित्तीय सहायता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

मालूम हो कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 31 मार्च को असामान्य बीमारियों के लिए नीति पर नई मसौदा रिपोर्ट जारी की थी। इसमें सरकार ने वैकल्पिक कोष बनाने का प्रस्ताव रखा था। नई मसौदा रिपोर्ट में उपचार की प्रकृति के आधार पर असामान्य बीमारियों की तीन श्रेणियां चिह्नित की गई हैं। इनमें एक बार के उपचार वाले रोग, लंबे समय तक और अपेक्षाकृत कम उपचार लागत वाली बीमारियां और साथ ही ऐसे रोग शामिल हैं, जिनका उपचार तो उपलब्ध है लेकिन अत्यधिक खर्च और रोगियों के चयन को लेकर चुनौतियां होती हैं।

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