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'हमने योग का पेटेंट करा लिया तो... यह हमारे ऋषि-मुनियों की देन', स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया बोले- हमने दुनिया की सेवा की है

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश और दुनिया की स्वास्थ्य चिंताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना और दुनिया के स्वास्थ्य की चिंता करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा हमारे लिए स्वास्थ्य केवल राष्ट्र तक सीमित नहीं है। हम वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन में विश्वास करते हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 08 Jan 2024 07:29 PM (IST)
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हम रेमडेसिविर से जितना पैसा चाहते उतना कमा सकते थे- मंडाविया (फाइल फोटो)
एएनआई, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश और दुनिया की स्वास्थ्य चिंताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना और दुनिया के स्वास्थ्य की चिंता करना हमारी जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, "हमारे लिए, स्वास्थ्य केवल राष्ट्र तक सीमित नहीं है। हम 'वसुधैव कुटुंबकम' के दर्शन में विश्वास करते हैं। विश्व हमारा परिवार है, ये हमारे मूल्य, सभ्यता और जीवनशैली हैं। हम जो ज्ञान प्रदान करते हैं उसका पेटेंट नहीं कराते हैं। अगर हमने योग का पेटेंट करा लिया तो क्या होगा? यह हमारे ऋषि-मुनियों की देन है लेकिन हमने इसका पेटेंट नहीं कराया। हमें खुशी होती है जब दुनिया योग करती है। हमने दुनिया की सेवा की है।"

हम रेमडेसिविर से जितना पैसा चाहते उतना कमा सकते थे- मंडाविया

स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने आगे कहा, "कोरोना काल में हमें स्वास्थ्य को वाणिज्य (Commerce) के रूप में देखने का मौका मिला। तब दुनिया के पास दवा नहीं थी। हम एजिथ्रोमाइसिन, रेमडेसिविर से जितना पैसा चाहते उतना कमा सकते थे। दुनिया के पास कोई विकल्प नहीं होता।"

उन्होंने कहा, हालांकि जब भी ऐसी स्थिति पैदा होती है तो हम दुनिया को देते हैं, इससे भारत और दुनिया को फायदा है क्योंकि भारत के पास सामर्थ्य है।

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